माता-पिता के मार्गदर्शन में वहीदा भरतनाट्यम नृत्य में निपुण हो गईं। इसके बाद वह मंचों पर प्रस्तुतियां देने लगीं, फिर उन्हें नृत्य के कई प्रस्ताव मिले, लेकिन वहीदा की कम उम्र के चलते उनके अभिभावकों ने उन प्रस्तावों को ठुकरा दिया। जब पिता का निधन हो गया, तब घर में आर्थिक संकट के चलते वहीदा ने मनोरंजन-जगत का रुख किया। उन्हें वर्ष 1955 में दो तेलुगू फिल्मों में काम करने का मौका मिला।