पॉप स्टार रिहाना और किशोर जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग के बाद कई इंटरनेशनल हस्तियों ने भारत में चल रहे किसान विरोध के प्रति अपना समर्थन दिखाया है। इसके लिए बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिया और लिखा, "किसान हमारे देश का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। और उनके मुद्दों को हल करने के लिए किए जा रहे प्रयास स्पष्ट हैं। एक सौहार्दपूर्ण संकल्प का समर्थन करें।"
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अक्षय कुमार के अलावा अजय देवगन, एकता कपूर, करण जौहर और सुनील शेट्टी ने भी इस मामले में ट्वीट किया है।
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भारत ने किसानों के प्रदर्शन पर पॉप गायिका रिहाना सहित विदेशों की मशहूर हस्तियों एवं अन्य लोगों की टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बुधवार को कहा कि प्रदर्शन के बारे में जल्दबाजी में टिप्पणी से पहले तथ्यों की जांच-परख की जानी चाहिए और सोशल मीडिया पर हैशटैग तथा सनसनीखेज टिप्पणियों की ललक न तो सही है और न ही जिम्मेदाराना है। विदेश मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब अमेरिकी पॉप गायिका रिहाना, स्वीडन की जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग, अमेरिकी अभिनेत्री अमांडा केरनी, अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी मीना हैरिस सहित कई मशहूर हस्तियों ने भारत में किसानों के विरोध प्रदर्शन के बारे में ट्वीट किये हैं। मंत्रालय ने कहा है कि कुछ निहित स्वार्थी समूह प्रदर्शनों पर अपना एजेंडा थोपने का प्रयास कर रहे हैं और संसद में पूरी चर्चा के बाद पारित कृषि सुधारों के बारे में देश के कुछ हिस्सों में किसानों के बहुत ही छोटे वर्ग को कुछ आपत्तियां हैं।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘हम अनुरोध करेंगे कि ऐसे मामलों में जल्दबाजी में टिप्पणी करने से पहले तथ्यों की पड़ताल की जाए और मुद्दों पर यथोचित समझ विकसित की जाए।’’ बयान के अनुसार, ‘‘ खासतौर पर मशहूर हस्तियों एवं अन्य द्वारा सोशल मीडिया पर हैशटैग और टिप्पणियों को सनसनीखेज बनाने की ललक न तो सही है और न ही जिम्मेदाराना है।’’ दरअसल, अंतरराष्ट्रीय पॉप गायिका रिहाना ने एक खबर साझा की थी जिसमें कई इलाकों में इंटरनेट सेवा बंद करने और किसानों के खिलाफ केन्द्र की कार्रवाई का जिक्र किया गया था, इसके बाद लोगों ने इस पर प्रतिक्रियाएं दी हैं। थनबर्ग ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘‘ हम भारत में किसानों के आंदोलन के प्रति एकजुट हैं।’’ उन्होंने इसके साथ ही सीएनएन की एक खबर टैग की जिसका शीर्षक था, ‘‘प्रदर्शनकारी किसानों और पुलिस में झड़प के बीच भारत ने नयी दिल्ली के आसपास इंटरनेट सेवा बंद की।’’
केंद्र के तीन नये विवादास्पद कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान पिछले करीब दो महीने से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय के बयान में इस बात पर जोर दिया गया है कि प्रदर्शनों को भारत के लोकतांत्रिक चरित्र और राज्य-व्यवस्था के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। मंत्रालय ने कहा कि इस तरह के तत्वों के उकसावे के बाद दुनिया के कुछ हिस्सों में महात्मा गांधी की प्रतिमाओं के साथ तोड़-फोड़ की गयी है। बयान में कहा गया कि यह भारत के लिए और किसी भी सभ्य समाज के लिए अत्यंत पीड़ादायी है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार ने प्रदर्शनकारी की भावनाओं का सम्मान करते हुए उनके प्रतिनिधियों से सिलसिलेवार वार्ताएं की हैं और बातचीत में केंद्रीय मंत्री शामिल रहे हैं। पहले ही 11 दौर की वार्ता हो चुकी है। मंत्रालय के अनुसार सरकार ने कानूनों को निलंबित करने की भी पेशकश की और स्वयं प्रधानमंत्री ने यह प्रस्ताव रखा। उसने कहा, ‘‘निहित स्वार्थी समूहों को इन प्रदर्शनों पर अपना एजेंडा थोपने और उसे पटरी से उतारने की कोशिश करते देखना दुर्भाग्यपूर्ण है। गणतंत्र दिवस पर यह देखा गया। देश के संविधान को अपनाने वाले दिन एक राष्ट्रीय स्मारक को नुकसान पहुंचाया गया, भारतीय राजधानी में हिंसा और तोड़फोड़ की गयी।’’ मंत्रालय ने कहा कि भारतीय पुलिस बलों ने पूरे संयम के साथ इन प्रदर्शनों को संभाला। पुलिस में कार्यरत सैकड़ों महिलाओं और पुरुषों पर हमला किया गया और कुछ मामलों में तो धारदार हथियारों से हमले किये गये और गंभीर रूप से चोट पहुंचाई गयी। मंत्रालय ने यह भी कहा कि संसद ने कृषि क्षेत्र से जुड़े सुधारवादी विधेयक पारित किये हैं।
(पीटीआई- इनपुट के साथ)