नई दिल्ली: गीतकार और अभिनेता पीयूष मिश्रा का कहना है कि स्टार वह होता है, जिस पर निर्माता पैसा लगाता है। पीयूष को 46 साल की उम्र में मौका मिला और उसके बाद उन्हें बॉलीवुड में पहचान मिली। उन्होंने कहा कि गीता में लिखा है कि एक बार किया गया कर्म बिना अपना फल दिए नष्ट नहीं होता है। मिश्रा ने कहा, "मुझे पहला मौका 46 की उम्र में फिल्म 'गुलाल' से मिला। इसके बाद भी मेरी पहचान नहीं बनी। स्टार अभी भी नहीं हूं। स्टार वह होता है, जिस पर निर्माता पैसा लगाते हैं।"
उन्होंने कहा कि कई लोगों ने मुझसे पूछा कि मौका नहीं मिल रहा था तो आपने फिल्म उद्योग छोड़ क्यों नहीं दिया? लेकिन मुझे खुद पर भरोसा था। गीता में लिखा है कि एक बार किया गया कर्म बिना अपना फल दिए नष्ट नहीं होता है।" मिश्रा ने इस संदर्भ में अमेरिकी अभिनेता मॉर्गन फ्रीमैन का उदाहरण दिया, जिन्हें 55 साल की उम्र में मौका मिला था। साहित्य आजतक, 2017 के अंतिम दिन रविवार को पहले सत्र की शुरुआत पीयूष मिश्रा ने अपने सुमधुर गीतों से की। मिश्रा ने अपने गीत 'जब शहर हमारा सोता है..', 'एक बगल में चांद होगा..' और 'आरंभ है प्रचंड..' से समां बांधा। मिश्रा ने अपनी कविताओं का भी पाठ किया। उन्होंने 'क्यों आते हो अंकल मुझको डर लगता है' पढ़ी। मिश्रा ने अपने प्रिय संगीतकार ओ.पी. नैयर के नाम भी एक गाना गाया। जिसके बोल थे 'ऐसा तो होता है।'
'साहित्य आजतक' के दूसरे दिन के अहम सत्र में कवि, गीतकार और लेखक जावेद अख्तर ने भाग लिया। जावेद ने कहा कि आदमी को अपनी शोहरत और कामयाबी पर घमंड नहीं करना चाहिए। वहीं आखिरी सत्र में लोकगायक मामे खान ने अपने प्रसिद्ध गीतों से महफिल में समां बांधा। इसके अलावा श्याम रंगीला ने अपने अंदाज में लोगों को खूब हंसाया।
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