नई दिल्ली: एक्टर-प्रोड्यूसर अभय देओल द्वारा प्रोड्यूस की हुई फिल्म 'कागज की कस्ती' जल्द ही रिलीज होने वाली है। उनका कहना है कि देश में मुख्य बाधा जो बन रही है वह है कि कानून बहुत धीमा काम करता है, यही वजह है कि कई महिलाएं सोशल मीडिया पर #MeToo के तहत अपनी कहानियां शेयर कर रही हैं।
अक्षय देओल अपनी फिल्म 'कागज की कश्ती' को मुंबई में प्रमोट कर रहे है। जो कि 2 नवंबर को सिनेमा घरों में रिलीज हो रही है।
#MeToo पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अभय ने कहा, 'यह महत्वपूर्ण है कि लोगों की आवाज़ें सुनी जाएंगी। बहुत कुछ चल रहा है। यह बदलाव की शुरुआत हो सकती है। हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि अगला क्या है और कैसे हम इस क्रोध का उपयोग करते हैं और इसे सही दिशा में डालते हैं।'
अभय ने आगे कहा कि, न्याय में काफी समय लगता है। यही कारण है कि बहुत शोर किया जा रहा है क्योंकि किसी को लगता है कि उसे अदालत में नहीं सुना जाएगा।
उन्होंने कहा, आखिर में इसे बदलना होगा, उन्हें अदालत में सुना जाएगा और फिर समाचार पत्र इसकी रिपोर्ट कर सकते हैं। यह आदर्श स्थिति होगी और उम्मीद है कि मीटू आंदोलन हमें उस दिशा में ले जाएगा।"
कागज की कश्ती न सिर्फ जगजीत सिंह के जीवन की एक उत्थानकारी फिल्म है, बल्कि वह जिस महान विरासत को पीछे छोड़ चुकी है, उसकी भी एक उत्थानकारी फिल्म है। दोस्तों, परिवार, सहयोगियों और अभिलेखीय फुटेज के माध्यम से गहन बातचीत के माध्यम से, फिल्म प्रतिष्ठित गज़ल महारानी जगजीत सिंह का एक अंतरंग चित्र बन जाती है।
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