नई दिल्ली: पूर्वोत्तर के राज्य त्रिपुरा से कांग्रेस पार्टी के लिए बुरी खबर आई है। यहां शुरुआती रुझानों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होता दिख रहा है। पूर्वोत्तर के तीनों राज्यों मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा में हुए विधानसभा चुनाव की मतगणना आज जारी है। त्रिपुरा में मतदान 18 फरवरी को फरवरी को हुआ था। त्रिपुरा में शुरुआती रुझानों में भाजपा ने 35 और लेफ्ट ने 24 सीटो पर बढ़त बला रखी है। वहीं कांग्रेस खाता भी नहीं खोल पाई है।
आपको बता दें कि त्रिपुरा में जहाँ पिछली सरकार में कांग्रेस को 10 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन इस बार अपना खाता भी नहीं खोल पाई। विधानसभा की 60 में से 59 सीटों पर हुए मतदान में 92 फीसदी से अधिक मतदाताओं ने वोट डालकर देश के चुनावी इतिहास में एक रिकॉर्ड बनाया। जनजातीय समुदाय के लिए आरक्षित सीट चारिलाम का चुनाव 12 मार्च को होगा। त्रिपुरा में 25 सालों से यानि 1993 से सीपीएम की सरकार है। 20 साल से माणिक सरकार मुख्यमंत्री हैं।
2013 के विधानसभा चुनाव में माणिक सरकार के नेतृत्व में सीपीएम ने 60 में से 46 सीटें जीती थीं। त्रिपुरा की 60 सीटों में से 20 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं। 10 सीटें अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित हैं। विधानसभा चुनाव 2018 में कुल 297 उम्मीदवार मैदान में थे जिनमें से 20 महिलाएँ हैं। राज्य में दो दशकों से ज्यादा समय से वामपंथी शासन है। सीपीएम नेता माणिक सरकार राज्य के मुख्यमंत्री हैं। सीपीएम राज्य में लगातार सात बार विधान सभा चुनाव जीत चुकी है। पार्टी को यकीन है कि वो आठवीं बार भी चुनावी जीत हासिल करेगी।
राज्य में माकपा ने 56 सीट पर प्रत्याशी उतारे हैं। पार्टी ने एक-एक सीट मोर्चे के घटक दलों भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, फारवर्ड ब्लॉक और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के लिए छोड़ी है। भाजपा 50 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उसने नौ सीट अपने सहयोगी इंडीजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा के लिए छोड़ी है। कांग्रेस ने सभी 59 सीटों पर उम्मीदवार उतारे लेकिन काकराबन-शालग्रहा से पार्टी के उम्मीदवार सुकुमार चंद्र दास ने अपना नामांकन वापस ले लिया और भाजपा में शामिल हो गए। यहां कुल 292 उम्मीदरवार चुनावी मैदान में हैं। कुल 35 लाख वोटर हैं।