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तेलंगाना चुनाव के जरिये दक्षिण भारत में जड़ें मजबूत करने पर होगा भाजपा का ध्यान

तेलंगाना विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए अग्निपरीक्षा होंगे क्योंकि 2014 के विपरीत इस बार यह पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है।

Reported by: Bhasha
Published : December 06, 2018 18:11 IST
File photo
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महबूबनगर: तेलंगाना विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए अग्निपरीक्षा होंगे क्योंकि 2014 के विपरीत इस बार यह पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है। सात दिसंबर यानी शुक्रवार को होने वाला मतदान केन्द्र में सत्तारूढ पार्टी के लिए 2019 लोकसभा चुनावों से पहले दक्षिण भारतीय राज्य में जड़ें मजबूत करने का मौका भी होगा। 

वर्ष 2014 में भाजपा, तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी और उसने कुल 119 में से पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी। जीती गईं सभी पांच सीटें उप्पल, मुशीराबाद, अंबरपेट, गोशामहल और एलबी नगर हैदराबाद में आती हैं। 

विधानसभा की ज्यादातर सीटों पर सत्तारूढ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआएस) और कांग्रेस नीत महागठबंधन ‘प्रजाकुटमी’ के बीच सीधा मुकाबला नजर आ रहा है लेकिन भाजपा भी 2014 में बने देश के सबसे नये राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने और अपनी सीटों की संख्या बढाने के प्रयास में है। कांग्रेस नीत गठबंधन में टीडीपी, तेलंगाना जन समिति (टीजेएस) और भाकपा के भी शामिल होने से इसे और मजबूती मिली है। 

चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि कुछ सीटों पर भाजपा भी कांग्रेस की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकती है। चुनाव मुख्य रूप से स्थानीय मुद्दों पर लड़ा रहा है और टीआरएस सरकार के कामकाज को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है। टीआरएस ने तेलंगाना के भावुक मुद्दे को भुनाते हुए 2014 में बहुमत हासिल किया था। 

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव पी मुरलीधर राव ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘भाजपा की तेलंगाना में मजबूत पकड़ है। पारंपरिक रूप से, हमारा मतदान प्रतिशत हैदराबाद क्षेत्र में ज्यादा रहा है। इस बार हमारे पक्ष में मतदान प्रतिशत में निश्चित रूप से बढोत्तरी होगी।’’ उनका मानना है कि तेलंगाना की जनता वैचारिक और राजनीतिक रूप से टीआरएस के ‘‘असली विकल्प’’ के रूप में भाजपा की ओर देखेगी और ‘‘टीआरएस विरोधी जगह’’ कांग्रेस नहीं भर पाएगी। 

राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा के अन्य प्रमुख नेताओं ने राज्य में पार्टी के लिए प्रचार किया है। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने टीडीपी के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन किया था और 45 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से पांच सीटें जीती थीं। 

टीडीपी ने लड़ी गईं 72 सीटों में से 15 पर जीत हासिल की थी। हालांकि उसके 12 विधायक टीआरएस और बाद में एक कांग्रेस में शामिल हो गये थे। टीआरएस ने 63 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी। वर्ष 2014 लोकसभा चुनावों में, टीआरएस ने 17 में से 11 सीटें जीती थीं। 

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