Thursday, November 21, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लोकसभा चुनाव 2024
  3. राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018
  4. राजस्थान विधानसभा चुनाव: BJP विरोधी माहौल को भुनाने में जुटी है कांग्रेस

राजस्थान विधानसभा चुनाव: BJP विरोधी माहौल को भुनाने में जुटी है कांग्रेस

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भी लगने लगा है कि उनकी पार्टी की लगातार हो रही हार का सिलसिला राजस्थान से ही टूट सकता है, सो वो भी लगातार राजस्थान के दौरा कर रहे हैं।

Reported by: IANS
Published on: October 25, 2018 23:40 IST
vasundhara raje and ashok gehlot- India TV Hindi
vasundhara raje and ashok gehlot

जयपुर: राजस्थान में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी सरकार बनाने को लेकर पूरी तरह से आाशान्वित नजर आ रही है। राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री सचिन पायलट व राजस्थान के दो बार मुख्यमंत्री रहे व वर्तमान में कांग्रेस के संगठन महामंत्री अशोक गहलोत पूरे प्रदेश में घूम-घूम कर पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भी लगने लगा है कि उनकी पार्टी की लगातार हो रही हार का सिलसिला राजस्थान से ही टूट सकता है, सो वो भी लगातार राजस्थान के दौरा कर रहे हैं।

वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की प्रदेश में करारी हार हुई थी। कांग्रेस को कुल मतदान का 33.1 प्रतिशत ही मिल पाए थे, जबकि भाजपा को 45.2 प्रतिशत मत मिले थे। उस चुनाव में कांग्रेस 102 सीटों से घटकर मात्र 21 सीटों पर आ गई थी। कांग्रेस को 75 सीटो का घाटा हुआ था। उसके बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस प्रदेश की सभी 25 सीटे हार गई थी। कांग्रेस की करारी हार के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर गुर्जर नेता सचिन पायलट को लाया गया था। युवा सचिन पायलेट ने निष्क्रिय पड़ी कांग्रेस को धीरे-धीरे सक्रिय करना शुरू किया।

सचिन पायलट ने प्रदेश के सभी जिलो का दौरा कर कांग्रेसजनों को भाजपा सरकार से मुकाबला करने को तैयार किया। आज हर कोई मानकर चल रहा है कि राजस्थान में अगली सरकार कांग्रेस की ही बनेगी। इसका मुख्य कारण मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को लेकर आम जन में नाराजगी माना जा रहा है। वसुंधरा राजे से राजपूत समाज की नाराजगी को कांग्रेस अपने लिए शुभ संकेत मान रही है। कांग्रेस के नेता वसुंधरा राजे से नाराज राजपूत नेताओं को अपने पाले में लाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। कभी भाजपा के बड़े नेता रहे जसवंतसिंह के विधायक पुत्र मानवेंद्र सिंह भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। कांग्रेस की कई अन्य राजपूत नेताओं पर भी नजर है जो भाजपा से नाराज है। इनमें करणी सेना के अध्यक्ष लोकेंद्र सिंह कालवी प्रमुख हैं।

राजस्थान में किसान मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है व कांग्रेस हर संभव किसानों को अपने पक्ष में करना चाहती है। किसानों में जाट मतदाता सबसे प्रभावी व मुखर है। राजस्थान में करीबन 80 से 90 सीटो पर जाट मतदाता निर्णायक रहते हैं। ऐसे में कांग्रेस जाट नेताओं पर डोरे डाल रही है। कांग्रेस के पास आज एक भी जाट नेता ऐसा नहीं है जो अपने जिले में भी असर रखता हो। प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व दातारामगढ़ विधायक नारायण सिंह बूढ़े हो चुके हैं। नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी स्वयं को जाटो में स्थापित नहीं कर पाये हैं। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान लगातार तीन बार हार चुके हैं। 2013 के चुनाव में तो उनकी उनके गृह क्षेत्र मंडावा में जमानत तक जब्त हो चुकी है। महिपाल मदेरणा जेल में हैं। उनकी सीट पर उनकी पत्नी पिछला चुनाव हार चुकी है।

डॉ. हरिसिंह लगातार दलबदल के कारण जनता में प्रभाव खो चुके हैं। पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी को अशोक गहलोत ने हासिये पर कर दिया है। नागौर के हरेंद्र मिर्धा पिछली बार निर्दलीय चुनाव लड़ कर हार चुके हैं। नाथूराम मिर्धा की पोती ज्योति मिर्धा 2009 से 2014 तक सांसद रही मगर 2014 का लोकसभा चुनाव हार चुकी है। वर्तमान में राजस्थान में जाट समाज के पांच सांसद व 31 विधायक हैं। जिनमें पांचों सांसद व 21 विधायक भाजपा के हैं। 31 विधायकों में 6 कांग्रेस के 3 निर्दलिय व एक राजपा से हैं। इस तरह पूर्व में जाटों का ज्यादा झुकाव भाजपा की तरफ ही रहा है। अजमेर लोकसभा सीट से जाट सांसद सांवरलाल जाट के निधन पर भाजपा ने जहां उनके पुत्र रामस्वरूप लांबा को टिकट दिया, वहीं कांग्रेस ने ब्राम्हण समाज के डॉ.रघु शर्मा को टिकट दिया जिसमें शर्मा के जीतने से राजस्थान में एक जाट सांसद कम हो गया।

राजस्थान में गुर्जर समाज कई वर्षो से पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण देने की मांग करता आ रहा है। मगर संवैधानिक बंदिशो के चलते ऐसा होना सम्भव नहीं हैं। वर्तमान में गुर्जर समाज भाजपा पर वादा खिलाफी का आरोप लगा कर सरकार के खिलाफ लामबंद हो रहा है। कांग्रेस गुर्जरों को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलेट स्वयं गुर्जर समाज से आते हैं। इस कारण वो गुर्जर समाज को यह समझाने का प्रयास कर रहें है कि यदि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो वो मुख्यमंत्री बनने के प्रबल दावेदार हैं। यदि वो मुख्यमंत्री बनते हैं तो गुर्जर समाज का प्रदेश में पहला मुख्यमंत्री होगा।

एक बार वो मुख्यमंत्री बन गए तो समाज की सभी समस्यायें सुलझा देंगें। जैसे उनके पिता राजेश पायलट ने हिमाचल प्रदेश में गुर्जर समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करवाकर लाभ दिलाया था। कुछ वैसा ही लाभ वो राजस्थान के गुर्जरों को भी दिलवा देंगे। राजस्थान कांग्रेसी में हर सीट पर दावेदारों की लंबी लाइन लगी है। कांग्रेस टिकट का हर दावेदार मान कर चल रहा है कि टिकट मिलते ही उसकी जीत पक्की है। ऐसे में टिकटों की दौड़ में एकदूसरे की जमकर टांग खिंचाई की जा रही है। प्रतिद्वंद्वियों के गड़े मुर्दे उखाड़े जा रहे हैं। इसका खामियाजा पार्टी को चुनाव में उठाना पड़ सकता है।

राजस्थान में सचिन पायलट व अशोक गहलोत के दो खेमे बन चुके हैं। दानो के समर्थक एक दूसरे को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं चूक रहें हैं। सोशल मिडिया पर दोनों के समर्थक अपने नेता को भावी मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे हैं। सचिन पायलट के समर्थक कह रहें है कि राजस्थान में गहलोत ने 2013 के चुनाव में कांग्रेस को 200 में से मात्र 21 सीटों पर ही जीत दिला पाए थे। सचिन पायलट ने साढ़े चार संघर्ष कर कांग्रेस को प्रदेश में सरकार बनाने के मुकालबे में ला खड़ा किया है तो मुख्यमंत्री का हक उन्हीं का बनता है। गहलोत तो वैसे भी चार साल तक शांत बैठे थे अब कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनता देख चुनाव के समय सक्रिय हुए हैं।

राजस्थान में कांग्रेस व सट्टा बाजार भाजपा को बहुत कमजोर मान रहा है। मगर भाजपा सरकार ने जनहित के कई ऐसे काम किए हैं, जिनको जनता आज भी अपने लिए फायदेमंद मान रही है। भाजपा सरकार ने भामाशाह कार्ड योजना प्रारंभ की थी जिसमें तीन लाख रुपए तक की मुफ्त चिकित्सा का प्रवधान है। भामाशाह कार्ड का प्रदेश में लाखों लोगों ने फायदा उठाया है। इस कार्ड के माध्यम से काफी लोगों ने नि:शुल्क हृदय में बाल्व तक डलवाया है।

वसुंधरा सरकार ने प्रदेश के तीस लाख किसानो का 50 हजार रुपए तक का कृषि ऋण माफ किया है। प्रदेश के किसानो के ट्यूबवैल पर प्रतिवर्ष दस हजार रुपये का अनुदान देना स्वीकृत किया है। निजी वाहनों को स्टेट हाई वे पर टोल टैक्स में छुटकारा दिलाना, हाल ही में हजारों ऐसे शिक्षकों को उनके गृह जिले में स्थानांतरण करना जो गत 15-20 वर्षों से दूसरे जिलो में कार्यरत थे।

गत पांच वर्षो में भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप ना लगना भाजपा सरकार का मजबूत पक्ष है। हाल ही में कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के विधायक पुत्र मानवेंद्र सिंह को भाजपा से तोडकर पार्टी में शामिल किया है वो पार्टी के लिये कितने उपयोगी साबित हो सकेंगे, यह तो चुनावों में ही पता लगेगा। सिंह के साथ ही कभी भाजपा में रह चुके दस जाट नेताओं को भी कांग्रेस में शामिल किया गया है।

कांग्रेस में शामिल किए गए अधिकांश जाट नेता उम्रदराज होने व बार बार दलबदल करने के कारण में प्रभाव खो चुके हैं। ऐसे नेताओं का कांग्रेस को कोई लाभ शायद ही मिल पाएगा। ऊपर से ये नेता स्वयं या अपने किसी परिजन को पार्टी टिकट देने का दबाव भी डालेंगे।

(लेखक रमेश सर्राफ धमोरा स्वतंत्र पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Rajasthan Assembly Election 2018 News in Hindi के लिए क्लिक करें लोकसभा चुनाव 2024 सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement