Highlights
- सिद्धू बोले- मैं चुनाव में शोपीस बनकर नहीं रहूंगा
- पंजाब में कांग्रेस जीती तो कौन होगा मुख्यमंत्री? जानें- सिद्धू ने क्या कहा
- पंजाब चुनाव को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की बड़ी बातें
नयी दिल्ली: कांग्रेस पार्टी के भीतर आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर गतिरोध नहीं थम रहा है। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के लगातार बढ़ते बगावती तेवर पार्टी आलाकमानों के लिए एक नई मुसीबत है। इस बात की बहस राज्य की राजनीति में तेज है कि पार्टी किसकी अगुवाई में चुनाव लड़ेगी। क्या पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद सीएम बनाए गए चरणजीत सिंह चन्नी को आगे कर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी या नवजोत सिंह सिद्धू इसके मुखिया होंगे? क्योंकि, चन्नी के सीएम बनने के बाद कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा था कि नवजोत की अगुवाई में पार्टी चुनाव लड़ेगी, जिसका उनके विरोधी खेमों ने विरोध किया था। अब सिद्धू ने खुद अपनी मंशा जाहिर कर दी है। सीधे तौर पर उन्हेंने कहा है कि वो चुनाव जीतने का शोपीस बनकर नहीं रहेंगे और सत्ता में आने के लिए लोगों से झूठ नहीं बोलेंगे। सिद्धू ने ये भी कहा कि जीवन में कभी किसी से कोई पद नहीं मांगा, लेकिन हमेशा पंजाब की भलाई चाहते हैं।
नवजोत सिंह सिद्धू से जब पूछा गया कि यदि कांग्रेस 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव जीतती है तो क्या उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाएगा? इसी के जवाब में सिद्धू ने कहा, ''ना तो मैंने जिंदगी में किसी चीज की मांग की है और ना ही करूंगा। मैंने कभी लोगों से वोट तक नहीं मांगा।''
आगे सिद्धू ने कहा, ''जिम्मेदारी आपको बेहतर या कड़वा बना देती है, मेरा अनुभव कड़वा है। पंजाब में तीन सरकारें बनवाने में मेरा योगदान रहा है। मैं प्रचार कर रहा था। लेकिन, इस सिस्टम में अच्छे आदमी को शोपीस बना दिया जाता है। उसे केवल चुनाव जीतने के लिए रखा जाता है।'' सिद्धू ने कहा, ''मैं केवल शोपीस नहीं रहूंगा। मैं सत्ता में आने के लिए पंजाब के लोगों से झूठ भी नहीं बोलूंगा। क्या कोई कह सकता है कि मैंने कभी झूठ बोला? क्योंकि मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है।''
सिद्धू कांग्रेस पार्टी में आने से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में थे। सिद्धू ने कहा, "राज्यसभा सीट छोड़ दी, कुरुक्षेत्र से चुनाव लड़ने को कहा गया था और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाने का ऑफर किया गया था।" उन्होंने कहा, ''तब मुझे कहा गया कि आप दिल्ली में चेहरा (कांग्रेस का) बन जाओ। मुझे अहमद पटेल ने ये भी कहा था कि आपको महासचिव बनाया जाएगा। मैंने उनसे कहा कि यदि मैं दिल्ली में किसी पार्टी का चेहरा बनाना चाहता तो बीजेपी में तीन बार का मंत्री होता।''
सिद्धू ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ संबंध को लेकर भी सफाई दी। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, ''मैं दो लोगों के प्रति प्रतिबद्ध हूं। मैंने उन्हें बेहद नजदीक से देखा है। मुझे पूरा विश्वास है। मैंने उन्हें अपना वचन दिया है और इस पर खड़ा रहूंगा। लेकिन, मैं पंजाब के लोगों के कल्याण के लिए भी अपने शब्दों पर कायम हूं, किसी को सत्ता में लाने के लिए नहीं।''
गौरतलब है कि कैप्टन अमरिंदर को सीएम पद से हटाने के लिए सिद्धू ने ही बगावती मोर्चा खोला था, जिसके बाद कैप्टन को अचनाक इस्तीफा देना पड़ा। इस्तीफे के बाद उन्होंने अपने बयान में कहा था, "अपमानित महसूस कर रहा हूं।" वहीं, जब चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाया गया तो सिद्धू के नीचे की राजनीतिक जमीन खिसक गई। सिद्धू चाहते थे कि पार्टी उन पर विश्वास करे और उनके मुताबिक व्यक्ति को सीएम बनाया जाए। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। कांग्रेस ने आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए दलित कार्ड खेला। सिद्धू को कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष का पद देकर मामला शांत करने की कोशिश की लेकिन, कुछ महीने बाद ही नवजोत ने इस्तीफा दे दिया। दरअसल, चन्नी ने अपने मंत्रिमंडल विस्तार में सिद्धू को अहमियत ना देते हुए अपने मुताबिक लोगों को जगह दी, जिससे नवजोत के तेवर गर्म हो गए।
अब जिस तरह से कैप्टन अमरिंदर भी पार्टी छोड़ अपनी नई पार्टी का गठन कर चुके हैं। उन्होंने कहा है कि वो बीजेपी में नहीं जाएंगे। लेकिन, सिद्धू के खिलाफ प्रत्याशी उतारेंगे और मोर्चा खोलेंगे। जाहिर है कि कैप्टन की नाराजगी विधानसभा चुनाव में सिद्धू और कांग्रेस- दोनों के लिए भारी पड़ेगा।