Highlights
- कई मोर्चों पर बीजेपी-जेडीयू में रार
- यूपी चुनाव से बिहार एनडीए में रार
- जेडीयू के अकेले चुनाव लड़ने से भाजपा को कितना नुकसान
नयी दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर एक तरफ जहां प्रमुख पार्टियां मैदान में एक-दूसरे दलों के खिलाफ जमकर प्रचार-प्रसार कर रही है। वहीं, इसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच बढ़ती कलह पर अब हर किसी की नजर है। दरअसल, बिहार में जेडीयू, भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए की सरकार है। लेकिन, यूपी विधानसभा चुनाव से पहले दोनों दलों में अब दरार के संकेत मिल रहे हैं।
जेडीयू यूपी विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरने का फैसला कर चुकी है। इतना ही नहीं, सीएम नीतीश की अगुवाई वाली पार्टी ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। यूपी चुनाव को लेकर पीएम मोदी, सीएम योगी के खिलाफ अपनी पार्टी जेडीयू को लेकर प्रचार करने का फैसला लिया है।
बढ़ते कलह के बीच जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने शनिवार को दिल्ली में यूपी चुनाव को लेकर 26 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। जेडीयू की तरफ से ये फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब जेडीयू कोटे से केंद्रीय इस्पात मंत्री बनाए गए आर. सी. पी. सिंह को भाजपा के साथ बातचीत की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। सिंह ने इसे लेकर भाजपा के शीर्ष आलाकमानों के साथ वार्ता भी की, लेकिन वो विफल रहें। इसी के बाद से चुनाव के लिए जेडीयू ने 51 उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप दिया है। बढ़ते कलह के बीच आरसीपी सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा और धर्मेंद्र प्रधान के सामने पार्टी की पार्टी की बातों को रखा था, लेकिन सहमति नहीं बन पाई। और अब जेडीयू ने अकेले भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है।
गौरतलब है कि जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने पहले ही इस बात को स्पष्ट करते हुए कहा था कि यदि पार्टी को सम्मानजनकर सीटें मिलती है, तभी जेडीयू भाजपा या किसी अन्य दलों के साथ हाथ मिलाएगी। जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश के प्रभारी के. सी. त्यागी ने कहा, "हमने उत्तर प्रदेश के पहले और दूसरे चरण के चुनाव में लड़ने वाले 26 उम्मीदवारों की सूची जारी की है। हमने पहले ही उम्मीदवारों के नाम शॉर्टलिस्ट कर लिए हैं जिनकी घोषणा उचित समय पर की जाएगी।"
अब जब जेडीयू ने यूपी चुनाव में अकेले लड़ने का फैसला किया है तो ये बिहार में एनडीए सरकार के बीच जारी गतिरोध को और बल देने का काम करेगा। दरअसल, राजनीतिक पंडितों का मानना है कि एनडीए में जारी कलह और बढ़ेगा। क्योंकि, कई मोर्चों पर सरकार में एक साथ होने के बावजूद भी जेडीयू और भाजपा आमने-सामने आ चुकी है। वहीं, घटक दल वीआईपी और हम भी नीतीश के साथ नजर आ रहे हैं जबकि भाजपा के खिलाफ कई बार बयानबाजी कर चुके हैं। मांझी ने तो पिछले दिनों सीधे पीएम मोदी पर हमला बोला था।
ये कोई नई राजनीतिक कलह दोनों दलों के बीच नहीं है। जब 2015 में जेडीयू ने एनडीए से नाता तोड़ आरजेडी के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया था तब पीएम मोदी ने मुजफ्फरपुर में परिवर्तन रैली के दौरान नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा था, उनके (नीतीश कुमार) के डीएनए में कुछ समस्या है, क्योंकि राजनीति का डीएनए ऐसा नहीं है। इस पर पलटवार करते हुए नीतीश कुमार ने कहा था, "मैं बिहार का बेटा हूं और मेरा डीएनए राज्य के लोगों जैसा है।"
2020 बिहार विधानसभा चुनाव में जब जेडीयू को मात्र 43 सीटें मिली थी, उसके बाद से ही भाजपा नेता कई बार जेडीयू और नीतीश कुमार पर अप्रत्यक्ष रूप से हमलावर नजर आए हैं। रार उस वक्त और बढ़ चला था जब अरूणाचल जेडीयू इकाई के 6 विधायकों ने भाजपा का 'कमल' थाम लिया था। अब यूपी चुनाव को लेकर एक बार फिर से दोनों दलों के बीच कलह बढ़ने के संकेत मिलते दिखाई दे रहे हैं। अब देखना होगा कि यूपी का चुनाव बिहार में एनडीए का 'खेल' कैसे बिगाड़ेगा?