लखनऊ: योगी राज-2 का चेहरा योगी राज-1 से एकदम नया रखने की तैयारी है। भले बीजेपी के पक्ष में जनादेश आया हो लेकिन बीजेपी आलाकमान ये बात अच्छी तरह समझ रहा है कि चुनावों के दौर में बीजेपी विधायकों का विरोध कई जगह हुआ था। हालांकि फिर भी जनता ने प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व पर भरोसा जताया है इसलिए इस बार वैसे हालातों से बचने के लिए मंत्रिपरिषद का चेहरा और रंग नया दिखाने की कोशिश की जा रही है। जिसमें नए और पुरानो का संतुलन अगड़ा और पिछड़ो का सामंजस्य और यूपी के हर क्षेत्र से मंत्रिपरिषद की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
सरकार में ब्राह्मण राजपूत वैश्य कर्मी लोध यादव शाक्य सेनी बघेल मौर्या जाटव सभी जातियों का समीकरण बिठाने की कोशिश हो रही है। योगी के लिए सबको साध कर सुशासन और संकल्प पत्र पर आगे बढ़ना बड़ी चुनौती है क्योंकि इस बार सरकार से विधायकों की भी अपेक्षायें बढ़ी रहेंगी जिससे वो जन विरोध का सामना न करने पाए।
दलित और अति पिछड़ो को जोड़ना
विधानसभा चुनाव की जंग जीतने के बाद अब योगी के सामने बड़ी चुनोती लोकसभा चुनाव 2024 है। योगी के सामने दलित और अति पिछड़ो को साथ बनाए रखने की बड़ी चुनौती है। इसलिए योगी की टीम में केशव प्रसाद मौर्या को बनाए रखने पर मंथन चल रहा है। स्वतंत्र देव सिंह कर्मी समाज से आते है जो बीजेपी का परम्परागत वोटर है केशव का दूसरा विकल्प बेबी रानी मौर्या दलित समाज से आती हैं।मौर्या कुशवाह और सैनियो को केशव प्रसाद मौर्या अपने साथ जोड़े हुए है अगर केशव को यूपी से दूर रखा गया तो इस वोट बैंक के खिसकने का डर है। केशव की भूमिका को लेकर अमित शाह और जेपी नड्डा दोनो से बातचीत हुई है ।
नए ब्राह्मण चेहरे पर मंथन
दूसरे उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ब्राह्मण चेहरे के तौर पर सरकार का हिस्सा हैं लेकिन दिनेश शर्मा का सियासी और प्रशासनिक प्रभाव का दायरा बहुत कम है ऐसे में दिनेश शर्मा के बजाय लक्ष्मीकान्त वाजपेयी, ब्रजेश पाठक को आगे बढ़ाने पर मंथन चल रहा है। श्री कांत शर्मा भी ब्राह्मण चेहरा है लेकिन योगी के नज़दीकी न होने के चलते उनका उपमुख्यमंत्री का दावा कमजोर हो जाता है। हालांकि लक्ष्मीकान्त वाजपेयी भी इस बार चुनाव नही लड़े है लेकिन उन्हें एमएलसी बनाने का विकल्प खुला है। वाराणसी से नीलकंठ तिवारी भी बेहतर कामकाज के सहारे इस रेस में हैं।
दलितो पर जताया जा सकता है भरोसा
इस बार दलितो के भरोसे को देखते हुए उपमुख्यमंत्री की संख्या बढ़ायी जा सकती है। तीसरा उपमुख्यमंत्री दलित तबके से हो सकता है और अगर इस पर सहमति बनती है तो बेबिरानी मौर्या असीम अरुण जैसे चेहरो में से किसी एक की लोटरी लग सकती है।
नए चेहरे हो सकते है मंत्रिमंडल का हिस्सा
चुनाव से मंत्रिमंडल विस्तार में सरकार का हिस्सा बनने से चुके EX-IAS अरविंद शर्मा इस बार मंत्रिमंडल में हो सकते है शामिल, वही मुख्यमंत्री सुचना सलहकार शलभमनी त्रिपाठी, पूर्व ED अधिकारी राजेश्वर सिंह और दयाशकर सिंह जैसे नए चेहरों को तरजीह दी जा सकती है। जाट तबके को साथ जोड़े रखने के लिए पस्चिम के जाट विधायकों को मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया जाएगा, लखीमपुर से शशांक वर्मा को शामिल किया जा सकता है।
इसके अलावा आशुतोष टंडन, सतीश महाना, जितिन प्रसाद, रमापति शास्त्री, नंदगोपाल नंदी, सिद्धार्थनाथ सिंह, अनिल राजभर, जयप्रताप सिंह को फिर से कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। वहीं निषाद पार्टी और अपना दल के सहयोगी दल से भी 2-2 मंत्री बनाए जाएँगे जिसने एक -एक मंत्री होगे । मुलायम की बहु अपर्णा यादव को भी योगी अपनी टीम का हिस्सा बनाना चाहते हैं ।