Highlights
- यूपी का पॉलिटिकल मैप अब धीरे-धीरे पूरी तरह सजता जा रहा है।
- अखिलेश मानकर बैठे हैं कि यूपी में 2022 में उनकी साइकिल आ रही है।
- प्रियंका गांधी भी ताबड़तोड़ रैली कर कांग्रेस में जान फूंकने में लगी हैं।
आशीष कुमार शुक्ला
जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव पास आ रहा है, नेताओं-अभिनेताओं जो अब फिलहाल राजनीति में अपनी सेवाएं दे रहे हैं/रही हैं उन सब के दिलों की धड़कन बढ़ने लगी है। कोई नेता बीजेपी का डेफिनेशन 'भारतीय झूठ पार्टी' बता रहे हैं, तो कोई सपा को 'गुंड़ा पार्टी' और कांग्रेस को देश लूट पार्टी। हालांकि ये सब बस शुरूआत है। अभी आगे बात जीजा जी से लेकर जमीन से जुड़े नेताओं तक होगी। बातचीत-वार-पलटवार कुछ भी हो लेकिन सवाल घूम कर आता है कि अबकी बार किसकी सरकार। कौन होगा यूपी का सिकंदर। चुनाव में अभी तो समय है लेकिन सुगबुगाहट तेज़ हो रही है।
यूपी का पॉलिटिकल मैप तैयार है
यूपी का पॉलिटिकल मैप अब धीरे-धीरे पूरी तरह सजता जा रहा है। सभी पार्टियों की रैलियों शुरू हो चुकी हैं। इस वक़्त यूपी में चुनाव प्रचार रफ़्तार पकड़ रहा है। बीजेपी नये-नये परियोजनाओं का शिलान्यास कर रही है। साथ ही लोगों को राम मंदिर निर्माण और अयोध्या में कारसेवकों पर चली गोलियों को याद दिला रही। दूसरी तरफ अखिलेश यादव भी पूर्वांचल से लेकर बुंदेलखंड में एक्टिव हो गये हैं। अखिलेश मानकर बैठे हैं कि यूपी में 2022 में उनकी साइकिल आ रही है। प्रियंका गांधी भी ताबड़तोड़ रैली कर कांग्रेस में जान फूंकने में लगी हैं।
फिलहाल यूपी में कांग्रेस ने बीजेपी की जो पूछ पकड़ रखी है वो लॉ एंड ऑर्डर है। प्रियंका गांधी अपनी रैली में आगे भी इसी मुद्दे को उठाती नज़र आएंगी इसमें कोई दो राय नहीं है। वहीं बीजेपी ने अपनी इलेक्शन स्ट्रेटजी क्लियर कर दी है। चुनाव-प्रचार में विकास की बात होगी। हिंदुत्व के मुद्दे पर भी बीजेपी हमेशा अग्रेसिव रहेगी। यही वजह है कि अभी से जय श्रीराम के नारे गूंजने लगे हैं और लुंगी छाप, जाली दार टोपी पहनने वालों की एंट्री हो चुकी है।
हैदराबाद वाले भाई जान की एंट्री कर रही परेशान
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी की यूपी में एंट्री कांग्रेस, सपा और बसपा सभी को परेशान कर रही है। वजह साफ है मुस्लिम वोट। ओवैसी की पार्टी AIMIM ने बिहार विधानसभा चुनाव में 5 सीटें जीतकर जिस तरह से नई शुरूआत की है ये बात अखिलेश से लेकर प्रियंका और मायावती को परेशान कर रही है। ओवैसी 100 मुस्लिम बहुल सीटों पर एक-एक वोट गिन रहे हैं। मोट-मोटा 19 फीसदी मुसलमान यूपी विधानसभा की 145 सीटों पर असर रखते हैं। पहले इन सीटों पर सपा-बसपा और कांग्रेस का डंका बजता था लेकिन ओवैसी के आने से इन 19 परसेंट मुस्लिम वोटों के अब 4 दावेदार हो गए हैं।
बीजेपी का स्टैंड इन सीटों को लेकर हमेशा क्लीयर रहा है। इस बार भी उसका एजेंडा हिंदू वोटों को एकजुट करने का ही है। योगी 19 परसेंट की जगह 80 परसेंट को आगे लेकर चल रहे हैं। 2017 में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में एक भी मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट नहीं दिया था। जबकि बीएसपी ने 97 मुसलमानों को टिकट दिए थे और सपा ने 67 मुसलमान कैंडिडेट उतारे थे। कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था और उसने भी 22 मुस्लिम कैंडिडेट मैदान में उतारे थे।
'बीजेपी की टीम-बी हैं 'चचाजान'
ओवैसी विपक्ष की राजनीति के लिए एक संकट बन गए हैं। हैदराबाद तक सीमित रहने वाले ओवैसी यूपी में हिंदू मुस्लिम वाली ध्रुवीकरण राजनीति से विपक्षियों का खेल बिगाड़ रहे हैं। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि ओवैसी के चुनाव मैदान में उतरने से उनकी पार्टी को नुकसान होगा। इसीलिए वो ओवैसी भाईजान को बीजेपी की बी टीम कहते हैं।
AIMIM की सक्रियता से जितनी संभावना कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगने की है उतने ही नुकसान का डर अखिलेश और मायावती को भी सता रहा है। दरअसल, ओवैसी को बीजेपी की बी टीम इसीलिए कहा जाता है क्योंकि वो मुस्लिम वोट बैंक पर सीधा निशाना साधते हैं। सीधे तौर पर हिंदू-मुस्लमान की बात करते हैं। इसलिए विपक्ष को नुकसान का डर सता रहा है। रैलियों में ओवैसी खुद को मुसलमानों का मसीहा बताते हैं और उनकी रैलियों में सीधा टारगेट केवल और केवल मुस्लिम वोट होता है जो विपक्ष को परेशान करता है।
यूपी में जातीय समीकरण
यूपी की राजनीति में जाति का खेल गजब का है। तकरीबन सभी पार्टियां अपने-अपने हिसाब से अलग-अलग जातियों को साधने की कोशिश करती हैं। एक आंकड़े के मुताबिक यूपी में 42-45 फीसदी ओबीसी हैं। उसके बाद 20-21 फीसदी संख्या दलितों की है। उत्तर प्रदेश में 42 ऐसे जिलें हैं, जहां दलितों की संख्या 20 प्रतिशत से अधिक है। ऐसे में सभी पार्टियों के लिए पिछड़ों का वोट संजीवनी बूटी की तरह है। यही वजह है कि जातीय आधार वाली छोटी पार्टियों के साथ गठजोड़ किया जा रहा है।
2019 में अखिलेश ने मायावती से गठबंधन कर इन्हें वोटों को साधने की कोशिश की थी, लेकिन दोनों ने मुंह की खाई थी। यही वजह है कि अखिलेश इस बार छोटी-छोटी पार्टियों से गठजोड़ कर रहे हैं। वो इस गठजोड़ को सभी रंगों का गुलदस्ता बता चुके हैं। अखिलेश यादव बिल्कुल नहीं चाहते हैं कि उनकी इस सियासी गणित में कोई भी पलीता लगाए खास-तौर पर कांग्रेस। हाल में उन्होंने कांग्रेस को जीरो सीट आने की भविष्यवाणी तक कर दी है।
इस बार भी बीजेपी की जीत पक्की है?
किसान आंदोलन अभी भी जारी है। पीएम मोदी ने देश के किसानों से माफी मांगते हुए तीनों कृषि कानून के वापसी की बात कही। संसद से इन कानूनों को वापस कर लिया गया। लेकिन अभी भी किसानों की कुछ मांगें हैं जिसे लेकर वो दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि तीनों कृषि कानून वापस होने से बीजेपी की साख पर बट्टा लगा है। लेकिन अंत भला तो सब भला में ही देखा जाएगा। पंजाब और यूपी में बीजेपी इसका कितना फायदा पाती है, ये देखने वाली बात होगी।
हालंकि बीजेपी का एक मोटा वर्ग जो उसे बिना शर्त समर्थन दे रहा था वह बीजेपी के कृषि कानून वापसी के फैसले से निराश है और इसे लेकर गुस्से में भी है। इसका कितना खामियाज़ा बीजेपी को भुगतना पड़ेगा ये तो यूपी चुनाव के बाद ही साफ हो सकेगी।
किसानों को साधने के लिए भले ही ये फैसला लिया है लेकिन पूर्वांचल के किसान इस कदम से ना खुश नज़र आ रहे हैं और ना ही दुखी। उनकी अपनी समस्या है जो फसलों की बर्बादी का है। छुट्टा-जानवरों की समस्या किसी से छिपी नहीं है, किसानों के साल की मेहनत रात भर में कैसे चट हो जाती है सबको पता है। ऐसे किसानों को सरकार से कर्ज माफी की उम्मीद है जिसमें विपक्षी पार्टी धीरे-धीरे ही सही दिलचस्पी ले रही हैं। बातचीत में कुछ किसानों ने बताया "अगर योगी जी KCC पर लिए हुए कर्ज को माफ करेंगे तो हमारा वोट बीजेपी को ही जाएगा"
2017 में आई योगी सरकार ने राम मंदिर निर्माण, जेवर एयरपोर्ट का खाका रखा। बिजली, रोड़, पानी से जुड़े प्रॉजेक्ट्स के अलावा भी कई सारी परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया, जिसका सीधा फायदा आने वाले चुनाव में देखने को मिल सकता है। बीजेपी ने यूपी में चुनाव से पहले अपने विरोधियों के लिए कई घेरे तैयार रखे हैं, जिसमें विकास, लॉ एंड ऑर्डर, सख्त प्रशासक की इमेज, ओबीसी समीकरण, दलित वोट, महिला वोट, हिंदुत्व शामिल है। ऐसे में ये देखने वाली बात होगी कि योगी को हराने के लिए विरोधी इन घेरे को कैसे तोड़ पाएंगे।