Highlights
- देश में लगातार बढ़ते जा रहे हैं कोरोना और ओमिक्रॉन के मामले
- वरुण गांधी ने नाइट कर्फ्यू लगाने और दिन में रैलियों में लाखों की भीड़ पर उठाए सवाल
नई दिल्ली: भाजपा सांसद वरुण गांधी ने ओमिक्रॉन के लगातार बढ़ रहे खतरे के बावजूद लाखों लोगों की रैलियां करने पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इस समय प्राथमिकता तय करने की जरूरत है। वरुण गांधी ने कोरोना और ओमिक्रॉन के लगातार बढ़ रहे खतरे को देखते हुए रात में कर्फ्यू लगाने और दिन में बड़ी-बड़ी रैलियों में लाखों लोगों की भीड़ जुटाकर शक्ति प्रदर्शन करने की आलोचना करते हुए कहा कि यह रवैया सामान्य जनता की समझ से परे हैं।
वरुण गांधी ने ट्वीट कर कहा, ''रात में कर्फ्यू लगाना और दिन में रैलियों में लाखों लोगों को बुलाना - यह सामान्य जनमानस की समझ से परे है।'' भाजपा सांसद ने प्राथमिकता तय करने की बात करते हुए आगे अपने ट्वीट में लिखा, ''उत्तर प्रदेश की सीमित स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के मद्देनजर हमें ईमानदारी से यह तय करना पड़ेगा कि हमारी प्राथमिकता भयावह ओमिक्रॉन के प्रसार को रोकना है अथवा चुनावी शक्ति प्रदर्शन।''
उन्होंने कहा कि नीति निर्माताओं को सामने से नेतृत्व करना चाहिए ताकि आम जनता को घरों में रहने के लिए प्रेरित किया जा सके। गांधी ने उल्लेख किया कि अधिकतम संक्रमण आमतौर पर दिन के दौरान होता है, क्योंकि रात में सड़कों पर कम लोग होते हैं। उन्होंने सामाजिक समारोहों में सख्ती से कटौती करने का आह्वान किया, जो कोविड के फैलने का कारण बन सकते हैं।
दरअसल, देश में लगातार बढ़ रहे कोरोना और ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए पांच राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनाव को टालने की मांग भी की जाने लगी है। हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव टालने को लेकर अपील की थी। चुनाव आयोग ने अभी विधान सभा चुनाव की आधिकारिक तारीखों का ऐलान नहीं किया है लेकिन तमाम राजनीतिक दल रैलियों और रोड शो में लाखों लोगों की भीड़ जुटाकर शक्ति प्रदर्शन करने में लगे हुए हैं। वरुण गांधी के इस ट्वीट ने इसे लेकर फिर से सवाल खड़ा कर दिया है।
हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट की अपील पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कुछ दिन पहले केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भाजपा मुख्यालय में मीडिया से कहा था कि किस जगह पर कौन सी राजनीतिक गतिविधि होनी चाहिए या नहीं होनी चाहिए, यह तय करने का दायित्व एक संवैधानिक संस्था (चुनाव आयोग) के पास है और वही इस मामले को देखेगी।
(इनपुट- एजेंसी)