Highlights
- BJP उम्मीदवार राघवेंद्र प्रताप सिंह पर क्यों लगा बैन?
- डुमरियागंज में दिख रही कांटे की टक्कर
- हर साल बाढ़ से होता है भारी नुकसान
सिद्धार्थनगर के डुमरियागंज विधानसभा सीट से 2017 में बीजेपी के राघवेंद्र प्रताप सिंह चुनाव जीते थे। 2017 में कांटे की टक्कर थी। बसपा उम्मीदवार सैय्यदा खातून से राघवेंद्र प्रताप सिंह मात्र 171 वोट से जीते थे। इस बार भी बीजेपी के टिकट पर राघवेंद्र प्रताप चुनाव लड़ रहे हैं। सांप्रदायिक टिप्पणी की वजह से राघवेंद्र प्रताप इस वक्त सुर्खियों में आ गये हैं। चुनाव आयोग इसका संज्ञान भी ले चुका है। हालांकि बीजेपी उम्मीदवार विरोधियों पर साजिश का आरोप लगा रहै हैं। वहीं यहां की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो 1967 में यह सीट अस्तित्व में आई थी। इस विधानसभा में कुल करीब चार लाख मतदाता हैं। सामान्य वर्ग के साथ एससी-एसटी वर्ग के मतदाता भी इस विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 2022 में यहां की जनता फिर से राघेंद्र प्रताप को विधानसभा भेजती है या कोई और उम्मीदवार यहां की जनता के मन में बसा है? जानने के लिए इंडिया टीवी (India TV)' का खास कार्यक्रम 'ये पब्लिक है सब जानती है (Ye Public Hai Sab Jaanti Hai)' की टीम डुमरियागंज विधानसभा पहुंची थी। जहां क्षेत्र की जनता ने इलाके की समस्याओं को लेकर अपने विचार रखे। जनता क्षेत्र में बिजली की स्थिति को लेकर संतुष्ट दिखी। वहीं सड़क निर्माण कार्य को भी बेहतर बताया.
बाढ़ से होता है भारी नुकसान
डुमरियागंज विधानसभा क्षेत्र की नदियों में नेपाल में बारिश के कारण बाढ़ आती है। जिससे फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है। इस क्षेत्र में कोई भी बड़ी इंडस्ट्री नहीं है। इस इलाके के लोगों के जीवन यापन का मुख्य साधन कृषि है। इस इलाके को युवकों को रोजी-रजोगार की तलाश में महानगरों की ओर पलायन करना पड़ता है।
इस विधानसभा क्षेत्र में कुल करीब चार लाख मतदाता रहते हैं। सामान्य वर्ग के साथ ही यहां मुस्लिम मतदाता भी अच्छी तादाद में रहते हैं। अन्य पिछड़ी जाति और एससी-एसटी वर्ग के मतदाता भी इस विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।