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Ye Public Hai Sab Jaanti Hai: गोला गोकर्णनाथ की जनता ने क्यों पूछा ‘विकास’ कहां रहता है?

गोला गोकर्णनाथ विधानसभा में चौथे चरण में 23 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां की जनता ने BJP उम्मीदवार अरविंद गिरि को जीताकर विधानसभा भेजा था। इस बार यहां की जनता किसको भेजना चाहती है विधानसभा?

Reported by: Praney Sharma @praneysharma
Published on: February 15, 2022 17:34 IST

Highlights

  • गोला गोकर्णनाथ की जनता के मन में क्या है?
  • 2017 में BJP ने दर्ज की थी जीत
  • इस बार भी सीट बचा पाएगी BJP?

लखीमपुर खीरी के अंतर्गत आने वाली ‘गोला गोकर्णनाथ विधानसभा’ में चौथे चरण में 23 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां की जनता ने BJP उम्मीदवार अरविंद गिरि को जीताकर विधानसभा भेजा था। इस विधानसभा क्षेत्र में करीब चार लाख मतदाता हैं। कुर्मी और ब्राह्मण वोटरों का यहां दबदबा है। मुस्लिम वोटर भी निर्णायक भूमिका में रहते हैं। इस चुनाव में यहां कि जनता किसको जीताना चाहती है? गोला की जनता के मन में क्या है? क्या इस बार भी BJP कब्जा बरकरार रख पाएगी? जानने के लिए  इंडिया टीवी (India TV)’ का खास शो (Show) ‘ये पब्लिक है सब जानती है’ ( ye Public Hai Sab Jaanti Hai) की टीम गोला गोकर्णनाथ विधानसभा पहुंची थी। बातचीत के दौरान यहां कि ज्यादातर जनता मौजूदा विधायक अरविंद गिरि का समर्थन करती दिखी। जनता का कहना था कि क्षेत्र में पांच सालों से शांति है। विकास भी क्षेत्र में बहुत हुआ है। कुछ महिला वोटरों का कहना था कि इस सरकार में हमें सुरक्षा मिली है। वहीं कुछ लोगों का कहना था कि सरकार ने काम तो अच्छा किया है, लेकिन अपना-पराया भी इस सरकार में खूब हुआ है। 

 

गन्ना भुगतान बड़ा मुद्दा रहता है

1962 में इस सीट को हैदराबाद विधानसभा के नाम से जाना जाता है था। 2012 में परिसीमन के बाद इस सीट को गोला गोकर्णनाथ विधानसभा के नाम से जाने जाना लगा। इस क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। यहां चीनी मिल के अलावा राइस मिल और फ्लोर मिल काफी संख्या में है। यहां के लोग मुख्य रूप से गन्ने की खेती पर निर्भर हैं। इस वजह से गन्ना मुल्य का भुगतान हमेशा एक बड़ा मुद्दा रहता है। 

सीट का इतिहास

यहां सबसे पहले चुनाव 1962 में हुए थे। इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार रामभजन विजयी हुए। 1967 में राजराजेश्वर जनसंघ से विधायक बने। वहीं 1969 और 1974 में माखनलाल ने कांग्रेस के टिकट पर विधायक बनकर प्रतिनिधित्व किया। 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर राघवराम ने कांग्रेस की इस सीट पर कब्जा कर लिया। इसके बाद 1980 और 1985 में रामभजन लाल कांग्रेस के ही टिकट पर विधायक बने। 1985 के बाद इस सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व खत्म हो गया और भाजपा के रामकुमार वर्मा लगातार 1989,1991 और 1993 में चुनाव जीते। इसके बाद 1996 से 2012 तक यहां सपा का राज रहा। 2017 में BJP ने इस सीट पर कब्जा कर लिया। 

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