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Ye Public Hai Sab Jaanti Hai: सपा के शाहगंज किले को भेद पाएगी BJP या ललई लगाएंगे हैट्रिक ?

शाहगंज के विधायक का दावा है कि वो क्षेत्र में विकास करते हैं यही वजह है कि जनता उनको चुनती है। ललई अखिलेश यादव के नेतृत्व में मंत्री भी रहे । अब सात मार्च को वोटिंग के बाद, 10 मार्च को जब नतीजे आएंगे तब साफ हो जाएगा कि क्षेत्र में विधायक का दावा कितना सच्चा है? 

Reported by: Jitender Chauhan
Published : March 02, 2022 18:58 IST

Highlights

  • सपा के शाहगंज किले को भेद पाएगी BJP?
  • सपा के शैलेंद्र यादव ललई फिर लगाएंगे हैट्रिक ?
  • 2002 से सपा का शाहगंज सीट पर कब्जा

जौनपुर के शाहगंज विधानसभा सीट पर 2002 से सपा का कब्जा है।  2012 और 2017 से लगातार शैलेंद्र यादव ललई इस सीट से विधायक हैं। इस बार भी सपा ने ललई को टिकट दिय है। इस क्षेत्र में ढाई लाख के करीब कुल वोटर हैं। यह क्षेत्र यादव बाहुल्य माना जाता है। राजभर, और राजपूत मतदाता भी निर्णायक भूमिका में हैं। विधायक शैलेंद्र यावद ललई अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री भी रहे हैं। विधायक का दावा है कि उनके क्षेत्र में सभी लोगों का विकास हुआ है। इस दावे की हककीत समझने इंडिया टीवी (India TV)'  का खास कार्यक्रम 'ये पब्लिक है सब जानती है (Ye Public Hai Sab Jaanti Hai)' की टीम शाहगंज विधानसभा पहुंची थी। बातचीत के दौरान यहां की जनता ने कहा कि क्षेत्र में सड़क और बिजली की स्थिति सुधरी है। लेकिन शाहगंज का उतना विकास नहीं हुआ है जितने की अपेक्षा थी। यहां ट्राफिक व्यवस्था खराब है। काननू व्यवस्था भी इलाके में ठीक हुई है। पांच साल पहले सोचना पड़ता था कि बिजली कब आएगी। कोविड काल में भी सरकार को कोविड प्रोटोकॉल के तहत शिक्षण संस्थानों खोलना चाहिए था। 

 

शाहगंज की चुनावी अतीत की बात करें तो यहां से 1977 में जनता पार्टी के छोटे लाल, 1980 में कांग्रेस के पहलवान, 1985 में लोकदल और 1989 में जनता दल के टिकट पर दीप चंद्र विधायक निर्वाचित हुए। 1991 में बीजेपी के राम प्रसाद रजक उर्फ नाथे, 1993 में बसपा के राम डावर, 1996 में बीजेपी के बांके लाल सोनकर, 2002 और 2007 में सपा के जगदीश सोनकर, 2008 के परिसीमन में यह सीट सामान्य हो गई. 2012 में सपा के शैलेंद्र ललई चुनाव जीतकर विधानसभा पुहंचे। 2017 में भी ललई दोबारा चुनाव जीते।

 

विधायक का दावा है कि वो क्षेत्र में विकास करते हैं यही वजह है कि जनता उनको चुनती है। ललई अखिलेश यादव के नेतृत्व में मंत्री भी रहे । अब सात मार्च को वोटिंग के बाद, 10 मार्च को जब नतीजे आएंगे तब साफ हो जाएगा कि क्षेत्र में विधायक का दावा कितना सच्चा है? 

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