Highlights
- यूपी चुनावों में साधु-संतों का आशिर्वाद किसके साथ?
- योगी सरकार में संतो का कितना हुआ भला?
- साधु-संतों को सरकार से क्या चाहिए?
प्रयागराज में पांचवें चरण में 27 फरवरी को मतदान होगा। हर पार्टी जनता को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुटी है। वहीं जनता भी बीते पांच साल का हिसाब लेने के मूड में है। ऐसे में साधु-संतों की सरकार से क्या अपेक्षाएं हैं? संतों के लिए सरकार ने क्या किया? साधु-संत किस पार्टी को जीताने के मूड में हैं? जानने के लिए इंडिया टीवी (India TV)’ का खास शो (Show) ‘ये पब्लिक है सब जानती है’ ( ye Public Hai Sab Jaanti Hai) की टीम प्रयागराज में साधु-संतों के पास पहुंची। बातचीत के दौरान संतों ने कहा कि ‘’सरकार का शासन 70 से 75 प्रतिशत ठीक रहा है। राम मंदिर निर्माण कार्य से संत खुश नज़र आए। वहीं मंदिर का निर्माण कार्य धीरे चल रहा है इसकी शिकायत भी की। कोविड काल में संतों को सही देख-भाल नहीं मिली इसको लेकर भी साधु-संत समाज नाराज़ नजर आया। वहीं इस सरकार में अफसशाही को संतों ने गलत बताया।’’
सरकार बनाने में साधु-संतों का बड़ा योगदान
देश हो या प्रदेश सरकार बनाने में साधु-संतों का भी बड़ा योगदान रहता है। अभी हाल ही में संगम की रेती पर चल रहे माघ मेले में विश्व हिंदू परिषद के शिविर में संत सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मेलन में संतो ने एक बार फिर से उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर हुंकार भरी।
योगी सरकार में साधु-संतों को मिली पेंशन
आपको बता दें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी संतों का खूब ध्यान रखते हैं। साधु-संतों को आर्थिक मदद देने के लिए योगी सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन योजना में साधु-संतो को भी शामिल किया। इससे पहले उन्हें ऐसी योजनाओं में शामिल नहीं किया गया। इसकी दो वजह थी- एक वैरागी का जीवनयापन करने वाले इन लोगों के पास मूलभूत कागजात और दस्तावेज नहीं होते थे। दूसरा साधु-संत इसके लिए आवेदन भी नहीं करते थे।