Highlights
- 'जनता के सामने कोई माफिया नहीं टिक सकता'
- 'शिक्षा है जौनपुर वालों की पहचान'
- जौनपुर में ‘माफिया राज’खत्म हो गया?
जौनपुर ज़िला वाराणसी के पड़ोस में स्थित है। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर नज़र डालें तो इस शहर की स्थापना फिरोज शाह तुगलक ने अपने चचेरे भाई मोहम्मद बिन तुगलक की याद में की थी। जौनपुर में गोमती नदी के किनारे स्थित शाही किला ऐतिहासिक विरासत को संजोए हुए है। अटाला मस्जिद, 1458 से 1478 में बनी जामा मस्जिद, 1450 के करीब निर्मित लाल दरवाजा मस्जिद भी हैं। लाल दरवाजा मस्जिद में पुराना मदरसा भी है जिसे लेकर कहा जाता है कि सासाराम के शासक शेर शाह सूरी ने यहीं से शिक्षा ग्रहण की थी। जौनपुर में शिक्षा का बोबाला शुरू से ही रहा है। यहां की धरती ने देश को कई अधिकारी दिए। लेकिन बीते कुछ सालों में यहां माफिया राज होने के चलते शिक्षा को काफी नुकसान पहुंचा। पर अभी उत्तर प्रदेश में चुनाव हो रहे हैं। हर विधानसभा इंडिया टीवी (India TV)' का खास कार्यक्रम 'ये पब्लिक है सब जानती है (Ye Public Hai Sab Jaanti Hai)' की टीम पहुंच रही है। वहां का विकास समझ रही है। समस्या समझ रही है। जनता का मूड समझ रही है। इसी सिलसिले में टीम जौनपुर पहुंची थी। चर्चा के दौरान शिक्षा पर बोलते हुए लोगों ने कहा कि अब यहां माफिया राज खत्म हो चुका है। युवा शिक्षा की तरफ बढ़ चुके हैं।
शिक्षा रही है जौनपुर की पहचान
आपको बता दें जौनपुर ज़िले के मल्हनी विधानसभा क्षेत्र में एक गांव माधोपट्टी है। यह गांव अफसरों के गांव के नाम से जाना जाता है। इस गांव के लगभग हर घर में एक व्यक्ति IAS या IPS है। यहीं नहीं गांव के कई प्रतिभाशाली लोग इसरो, मनीला और इंटरनेशनल बैंक में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस गांव के पहले IAS अधिकारी मुस्तफा हुसैन, मशहूर कवि वमीक जौनपुरी के पिता थे। 1914 में मुस्तफा हुसैन यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा पास किए और अफसर बने। हुसैन के बाद IAS इंदु प्रकाश थे, जिन्होंने 1951 में सिविल सेवा परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की और IFS ऑफिसर बने। वह करीब 16 देशों में भारत के राजदूत भी रहे। कहा जाता है कि हर साल इस गांव से कोई अधिकार जरूर बनता है।
जनता के सामने कोई माफिया नहीं टिक सकता
स्थानीय लोगों ने बातचीत के दौरान कहा ‘कि जौनपुर की पहचान हमेशा से शिक्षा रही है और यह पहचान हमेशा बरकरार रहेगी। कुछ वक्त के लिए माहौल ज़रूर ऐसा बन गया था कि लोग माफियाओं से डरकर घर से निकलना नहीं चाहते थे। व्यापारी व्यापार करने से डरता था। और यह सब इसलिए ही संभव था क्योंकि नेता जिन्हें हम अपना प्रतिनिधि चुनते हैं वहीं अपनी राजनीतिक लाभ के लिए कुछ बिगड़ैल लोगों को बढ़ावा देते थे। पर अब स्थिति बदली है। गुंडा राज फिर से खत्म हो चुका है। जनता का प्रतिनिधि अगर ईमानदार हो तो जनता अपने सामने किसी माफिया को टिकने नहीं देती. जब रावण नष्ट हो गया, तो कोई और कैसे टिक सकता है.’