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UP Election 2022 : मुख्तार अंसारी नहीं लड़ेंगे चुनाव, बेटे अब्बास ने ओपी राजभर की पार्टी SBSP से किया नामांकन

मुख्तार अंसारी के चुनाव नहीं लड़ने का फैसला ऐसे समय में हुआ है, जब भाजपा इसे लेकर सपा की घेराबंदी कर रही थी।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: February 15, 2022 9:52 IST
Mukhtar ansari- India TV Hindi
Image Source : PTI Mukhtar ansari

Highlights

  • पांच बार मऊ से विधायक रहे मुख्तार अंसारी
  • मऊ विधानसभा के लिए सातवें चरण होगा मतदान

मऊ: बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी मऊ से इस बार चुनाव नहीं लड़ेगे, लेकिन उनके बेटे अब्बास इस सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में सातवें चरण के लिए सोमवार को मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी ने सुभासपा से मऊ सदर सीट के प्रत्याशी के तौर पर नामांकन किया है। सोमवार की दोपहर बाद प्रस्तावकों तथा अधिवक्ताओं के साथ अब्बास अंसारी ने नामाकंन किया। नामांकन के बाद अब्बास अंसारी ने प्रेस प्रतिनिधियों से कहा कि मऊ जिले से उनका लगाव है, अब यह उनकी कर्म भूमि है और जनता उनके साथ है।

सोमवार को मुख्तार की तरफ से नामांकन न करने पर लोगों ने इस बार चुनाव न लड़ने का संभावना जताई है। वहीं राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मुख्तार अंसारी ने भविष्य को देखते हुए यह फैसला बहुत ही सोच समझकर लिया होगा। नामांकन के बाद मीडिया से अब्बास अंसारी ने कहा कि पिता और पुत्र में फर्क नहीं है।

मुख्तार अंसारी के चुनाव नहीं लड़ने का फैसला ऐसे समय में हुआ है, जब भाजपा इसे लेकर सपा की घेराबंदी कर रही थी। अब जबकि चुनावी फोकस पूर्वांचल होने जा रहा है, समाजवादी पार्टी नहीं चाहती थी कि भाजपा मुख्तार के नाम पर किसी तरह की घेरेबंदी कर सके। मुख्तार अंसारी 15 साल से जेल में हैं। पंजाब से उन्हें यूपी लाने के बाद बांदा जेल में रखा गया है।

पिछले हफ्ते मुख्तार अंसारी के नामांकन के लिए अदालत से इजाजत भी मांगी गई थी। अदालत ने उनके वकील और अन्य लोगों को जेल में जाकर नामांकन प्रक्रिया पूरी करने की इजाजत भी दे दी थी। नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के पहले दिन उनके अधिवक्ता दारोगा सिंह ने कोर्ट से सारी प्रक्रियाएं पूरी करवाई थी। जेल में मुलाकात के लिए सभी 22 लोगों की आरटीपीसीआर जांच भी हुई थी।

मुख्तार अंसारी के लिए सुभासपा के नाम पर नामांकन पत्र लिया गया था। इस बीच सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने भी यह कहकर माहौल को गरमा दिया था कि मऊ सदर से मुख्तार या अब्बास दोनों में से कोई भी लड़ सकता है। सुभासपा से नामांकन के बाद अब्बास अंसारी ने कहा कि अब उनके पिता व पांच बार से मऊ के विधायक मुख्तार अंसारी चुनाव नहीं लड़ेगे। मऊ मेरी अब कर्मभूमि भी रहेगी। पिता की विरासत को आगे ले जाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ूंगा। आखिर मुख्तार ने इस तरह का कदम क्यों उठाया, इसके बारे में अब्बास ने बताया कि आज लोकतंत्र की हत्या हो रही है। नौजवानों को रोजगार नहीं मिला। पांच साल तक सिर्फ प्रचार ही हो रहा था।

पिछले विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी ने मऊ सदर और बेटे अब्बास ने घोसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। बिहार के राज्यपाल फागू चौहान की परंपरागत सीट पर पहली बार मुख्तार घराने ने मजबूत दस्तक दी थी। तब बसपा के प्रत्याशी अब्बास अंसारी 81,295 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे। वहीं इस चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी फागू चौहान को 88,298 वोट पाकर जीत हासिल की थी। इस बार घोसी विधानसभा सीट पर भाजपा से सपा में आए मंत्री दारासिंह चुनाव लड़ रहे हैं।

इनपुट-आईएएनएस

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