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UP Election 2022: दूसरे चरण में पहले की अपेक्षा BJP के लिए ज्यादा चुनौती

वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में इस इलाके की 55 सीटों में से 38 सीटें भाजपा को, 15 सीटें समाजवादी पार्टी (सपा) को 15 और दो सीटें कांग्रेस को मिली थीं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 19, 2022 14:53 IST
UP Election 2022: दूसरे चरण में पहले की अपेक्षा BJP के लिए ज्यादा चुनौती - India TV Hindi
Image Source : PTI UP Election 2022: दूसरे चरण में पहले की अपेक्षा BJP के लिए ज्यादा चुनौती 

Highlights

  • दूसरे चरण में 55 सीटों पर 14 फरवरी को मतदान होगा
  • दूसरे चरण के चुनाव के लिए 21 जनवरी को जारी होगी अधिसूचना

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनौतियां पहले की अपेक्षा अधिक होंगी क्योंकि दूसरे चरण में मतदान वाली 55 सीटों में से ज्यादातर में मुस्लिम आबादी की बहुलता है और चुनावों के दौरान बरेलवी (बरेली) तथा देवबंद (सहारनपुर) के मुस्लिम धर्म गुरुओं की भी सक्रियता बढ़ जाती है। उत्तर प्रदेश में 403 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव के दूसरे चरण में 55 क्षेत्रों में 14 फरवरी को मतदान होगा और इसके लिए 21 जनवरी को अधिसूचना जारी होगी। 

दूसरे दौर में 55 सीटों पर वोटिंग

इनमें पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश के सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, रामपुर के अलावा रुहेलखंड के बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर जिलों के 55 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में इस इलाके की 55 सीटों में से 38 सीटें भाजपा को, 15 सीटें समाजवादी पार्टी (सपा) को 15 और दो सीटें कांग्रेस को मिली थीं। पिछला विधानसभा चुनाव सपा और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था। सपा के खाते में आईं 15 सीटों में से 10 पर पार्टी के मुस्लिम उम्मीदवार जीते थे। जबकि पहले चरण की 58 सीटों में भाजपा ने 53 सीटें जीतीं और सपा तथा बहुजन समाज पार्टी को दो-दो तथा राष्‍ट्रीय लोकदल को एक सीट ही मिली थी। 
भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व विधान पार्षद विजय बहादुर पाठक ने 'पीटीआई-भाषा' से बातचीत में दावा किया ''दूसरे चरण में भी भाजपा पहले से अधिक सीटें जीतेगी क्योंकि केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार ने सभी वर्गों के विकास को प्राथमिकता दी और यह बात लोग महसूस करते हैं। राज्य में लंबे समय तक कांग्रेस के शासन और फिर 15 वर्षों तक लगातार सपा-बसपा के शासन में लूट, खसोट और भ्रष्टाचार से पीड़ित जनता इन दलों को दोबारा मौका नहीं देगी। अखिलेश यादव कांग्रेस, बसपा सभी से गठबंधन कर देख चुके हैं और उन्हें जनता सबक सिखा चुकी है।'' 

वोटों का हो सकता है बिखराव
उल्लेखनीय है कि सपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ और 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा और राष्‍ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन किया। दोनों चुनावों में इन 55 सीटों पर भाजपा के मुकाबले गठबंधन की सियासत को लाभ मिला। पर, इस बार सपा, बसपा और कांग्रेस तीनों के अलग-अलग चुनाव मैदान में होने से राजनीतिक समीक्षकों का दावा है कि मतों का बिखराव होगा और भाजपा को इसका लाभ मिल सकता है। बसपा ने भी इस इलाके में मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं और अपनी सक्रियता भी बढ़ाई है।

मुस्लिम, जाट और दलित मतदाता
 ध्यान रहे कि पिछले विधानसभा चुनाव में जहां सपा और कांग्रेस को कुल 17 सीटों पर जीत मिली वहीं लोकसभा चुनाव में इस इलाके की 11 सीटों में सात सीटें बसपा-सपा गठबंधन के हिस्‍से आयीं। इनमें से चार सीटों (सहारनपुर, नगीना, बिजनौर और अमरोहा) पर बसपा जीती जबकि सपा को मुरादाबाद, संभल और रामपुर में तीन सीटों पर जीत मिली थी। इससे एक बात साफ है कि इस गढ़ में मुस्लिम, जाट और दलित मतदाताओं के गठजोड़ का फार्मूला कामयाब हुआ था। इस बार सपा ने पश्चिमी उप्र में सक्रिय राष्‍ट्रीय लोकदल और महान दल के साथ गठबंधन किया है जिनका जाट, शाक्य, सैनी, कुशवाहा, मौर्य, कोइरी बिरादरी में प्रभाव माना जाता है। यादव बिरादरी पर प्रभाव रखने वाली सपा अपने पक्ष में रामपुर के सांसद और पूर्व मंत्री आजम खान की गिरफ्तारी को लेकर भी एक महत्वपूर्ण समीकरण बनाने के प्रयास में है जो जमीन पर कब्जा करने सहित विभिन्न आपराधिक मामलों में करीब दो वर्ष से सीतापुर जेल में बंद हैं। 

बीजेपी को वनवास मिलेगा-सपा
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सत्तारूढ़ भाजपा पर आजम को फर्जी मुकदमे में फंसाने और उत्पीड़न का आरोप लगाया है। सपा के राष्ट्रीय सचिव और मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने 'पीटीआई-भाषा' से बातचीत में दावा किया ‘‘भाजपा के झूठ और फर्जीवाड़े की पोल खुल चुकी है। इस बार प्रदेश की जनता भाजपा को वनवास पर भेज देगी। दूसरे चरण के मतदान वाले इलाकों में सपा गठबंधन बहुत मजबूत स्थिति में है।’’ सपा के एक और नेता ने दावा किया ‘‘ सपा, रालोद गठबंधन के साथ, भाजपा से इस्तीफा देकर आए स्वामी प्रसाद मौर्य और धर्म सिंह सैनी तथा महान दल के केशव देव मौर्य का समीकरण बहुत मजबूत साबित होगा और भाजपा का यहां से सफाया हो जाएगा।’’ बहरहाल, स्वामी प्रसाद की बेटी संघमित्रा मौर्य अभी बदायूं से भाजपा की सांसद हैं और उन्होंने दल छोड़ा नहीं है। 

मौलाना तौकीर ने कांग्रेस को समर्थन का ऐलान किया
उधर, कांग्रेस भी अपनी जमीन मजबूत करने के लिए प्रयासरत है। सोमवार को बरेलवी मुसलमानों के धार्मिक गुरु और इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खां ने उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशियों के समर्थन का ऐलान किया है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के साथ पिछले सोमवार को संयुक्त पत्रकार वार्ता में खां ने अपने समर्थन की घोषणा की जिस पर आभार जताते हुए लल्लू ने कहा कि आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने में यह समर्थन महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। 

ओवैसी के उम्मीदवार भी लड़ रहे चुनाव
उधर, आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस अंचल की कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिये हैं। इस अंचल में पिछले वर्ष कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए और योगी सरकार में विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री बने पंडित जितिन प्रसाद भी चुनावी कसौटी पर रहेंगे। शाहजहांपुर उनका गृह जिला है और ब्राह्मण नेता के रूप में भाजपा ने उनको आगे किया है।

इनपुट-भाषा

 

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