Highlights
- कहा जा रहा है कि बीजेपी ने इस बार अपने 80 से ज्यादा विधायकों का टिकट काटने का मन बना लिया है।
- सपा में टिकट के लिए आवेदकों की लंबी सूची है बाहरी दलों से आये नेता भी टिकट के लिए आस लगा रहे हैं।
- बीएसपी इस बार अपने वफादार सिपाहियों पर ही दांव लगाने की रणनीति पर काम कर रही है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में चुनावी दंगल के लिए अखाड़ा सज चुका है। एक दूसरे को घायल कर जंग में फतह हासिल करने के लिए बयानों के जुबानी तीर छोड़े जा रहे है। सभी सियासी पार्टियां इस बार कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती सो लंबे मंथन और रणनीति के बाद ही टिकट पर मुहर लगाई जाएगी। कांग्रेस युवा महिलाओं को तो बीएसपी अपने वफादारों को तवज्जो देगी। इसी तरह जहां सपा अपने दावेदारों की स्क्रीनिंग करा रही है वहीं कहा जा रहा है कि बीजेपी ने इस बार अपने 80 से ज्यादा विधायकों का टिकट काटने का मन बना लिया है।
उत्तर प्रदेश में 2022 की लड़ाई बड़ी दिलचस्प होने जा रही है। अपनी हुकूमत को बचाने के लिए बीजेपी नेताओं के ताबड़तोड़ दौरे हो रहे हैं। बीएसपी अपने सियासी अस्तित्व को बचाने के लिए मैदान में है। प्रियंका यूपी में कांग्रेस को चर्चा में लाने के लिए मशक्कत कर रही है और सपा भी जीत के लिए जोर आजमाइश में कोई कोर कसर नही छोड़ रही। लेकिन जीत के लिए रणनीति बहुत अहम होती है और इस बार दल कोई भी हो, टिकट बंटवारे का पैमाना बदला हुआ है।
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मौजूदा विधायको का कट सकते हैं टिकट
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के राग को आधार बना बहुमत की जुगाड़ में जुटी बीजेपी के सामने एन्टी इनकंबेंसी बड़ी चुनौती है। कई विधानसभा क्षेत्रों में विधायको की छवि के चलते पार्टी को हार का खतरा है। पार्टी के सर्वे में इसके चलते हो रहे नुकसान का अंदाजा भी आलाकमान को हो चुका है। सबसे ज्यादा दावेदार भी बीजेपी में ही हैं सो इस बार टिकट पाना बीजेपी में आसान नहीं है। खबरों में यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी रणनीति के तहत 80 से ज्यादा विधायकों को चुनाव मैदान से दूर रखने पर विचार कर रही है।
सपा में आवेदनों की लंबी सूची
सपा में टिकट के लिए आवेदकों की लंबी सूची है बाहरी दलों से आये नेता भी टिकट के लिए आस लगा रहे हैं। पार्टी के कुछ एमएलसी भी चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं लेकिन पार्टी इस बार किसी हड़बड़ी में नहीं है। हर सीट पर स्क्रीनिंग कराई जा रही है। पंचायत चुनाव में पार्टी के खिलाफ काम कर चुके भितरघातियों पर सपा की नजर है। पार्टी इस बार स्क्रीनिंग के हिसाब से टिकट देने के मूड में है।
बीएसपी खेलेगी अपने वफादार सिपाहियों पर दांव
बीएसपी के सामने संकट बड़ा है। किसी भी विधानसभा में दलित वोट बैंक की गारंटी के साथ बीएसपी में टिकट बांटी जाती थी लेकिन लगातार हार से बीएसपी का ये मिथक भी टूटा है। बीएसपी नेताओ के लगातार पार्टी छोड़ने से पार्टी के जनाधार पर भी असर पड़ा है। इसलिए चौकन्नी बीएसपी इस बार अपने वफादार सिपाहियों पर ही दांव लगाने की रणनीति पर काम कर रही है। जनाधार के पैमाने पर बेदम दिख रही कांग्रेस के पास उम्मीदवारों का संकट है सो ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ नारे के साथ कांग्रेस इस बार महिलाओं को बड़ी तादाद में मौका देने जा रही है।
'लड़की हूं, लड़ सकती हूं'
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है और कांग्रेस की कमान खुद प्रियंका गांधी ने संभाल रखी है। चुनाव से पहले प्रियंका ने यूपी चुनाव के लेकर नारा दिया 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं', साथ ही साथ 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने का भी ऐलान किया। अब तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि ये फैसला कितना सही साबित होता है पर एक बात तो साफ है कि प्रियंका महिला वोटरों के सहारे यूपी फतह की तैयारी में है।
बहरहाल चुनावों में सैनिक और उनके लड़ने का अंदाज ही जीत की राह प्रशस्त करता है। सो सभी दल बिना जोखिम लिए इस बार मजबूत योद्धाओं को मैदान में उतार सत्ता की बाजी जीतने की उधेड़बुन में जुट गए हैं।