लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बीजेपी को मिले प्रचंड बहुमत ने कई चुनावी मिथक को तोड़ने का काम किया है । सबसे खास बात यह रही कि विपक्ष के तमाम मुद्दों और आरोपों के बावजूद बीजेपी जनता के बीच में यह धारणा बनाने मे कामयाब हुई कि वही जनता को विकास प्रदान कर सकती है। 2022 यूपी विधानसभा चुनाव की शुरुआत में विपक्ष ने बीजेपी सरकार के सामने आरोपों की झड़ी लगा दी थी। समाजवादी पार्टी की बात करें तो कई लोकलुभावन वादों से वह जनता का ध्यान अपनी ओर खींचने मे कामयाब तो रही लेकिन उसे वोटों में तब्दील करने में नाकाम साबित हुई।
अखिलेश के वादों पर जनता ने नहीं जताया भरोसा
अखिलेश यादव ने बेरोजगारी, छुट्टा पशुओं, कोरोना काल में सरकार की नाकामी, पुरानी पेंशन बहाली, 300 यूनिट मुफ्त बिजली और सभी फसलों पर MSP जैसे कई बड़े वादे जनता से किए। सपा प्रमुख अखिलेश यादव शायद ये समझने मे चूक गए कि जिन वादों के सहारे वह सत्ता की कुर्सी पर पहुंचने के सपने देख रहे हैं वे नाकाफी साबित होंगे। दरअसल, बीजेपी इस चुनाव में एक अलग रणनीति के साथ काम करने में जुटी हुई थी। बीजेपी जनता को भरोसा दिलाना चाहती थी कि जिन सुविधाओं की उम्मीद वह सरकार से करती है, उन्हें सिर्फ और सिर्फ योगी सरकार ने देकर दिखाया है। इसमें कानून व्यवस्था और गरीबों को मिले राशन ने एक बड़ी भूमिका निभाई।
परसेप्शन की राजनीति में विपक्षियों पर भारी रही बीजेपी
बीते 5 सालों में योगी सरकार जनता को बिजली की बेहतर व्यवस्था देने मे भी सफल हुई। दूसरे राज्यों की तुलना में बिजली महंगी का मुद्दा भी योगी सरकार के सामने रहा, लेकिन यहां भी यह धारणा बनाने में कामयाब हुई कि महंगी होने बावजूद लोगों को कम से कम 18 से 20 घंटे बिजली मिल रही है। बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी की सरकारों के दौरान बिजली की कटौती एक बड़ी समस्या थी। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मिली कामयाबी राजनीतिक दलों को यह संदेश दे सकती है कि जनता से जुड़े मुद्दों से कहीं ज्यादा किसी खास दल के बारे में परसेप्शन ज्यादा वोट दिला सकता है।