Highlights
- जाट नेताओं के साथ कई मुद्दों पर शाह ने की चर्चा
- किसानों के सर्वमान्य बड़े नेता महेंद्र सिंह टिकैत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा किसी ने सम्मान नहीं दिया- शाह
- बैठक में जाट आरक्षण का भी उठा मसला
UP Election 2022: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जाट नेताओं के साथ बुधवार को दिल्ली में प्रवेश वर्मा के घर पर बड़ी बैठक की। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जाट मतदाताओं को साधने की मुहिम के तहत अमित शाह ने जाट समुदाय के 200 से ज्यादा नेताओं के साथ बैठक के दौरान उनसे यह अपील भी की कि भाजपा और जाट समुदाय की सोच एक जैसी ही है। मुद्दा चाहे किसानों का हो या देश की सुरक्षा का, दोनों ही महत्वपूर्ण मुद्दों पर भाजपा और जाट समुदाय की सोच एक जैसी ही है।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अगर कोई शिकायत है तो वो उनसे लड़ सकते हैं , लेकिन भाजपा से कोई नाराजगी नहीं रखनी चाहिए। अखिलेश यादव को बाहरी बताते हुए जाट नेताओं से शाह ने यह भी कहा कि घर की लड़ाई में बाहर वालों को क्यों लाते हो ? जयंत चौधरी को लेकर जाटों के मन में सॉफ्ट कार्नर को देखते हुए शाह ने यह भी कहा कि जयंत ने इस बार गलत घर चुन लिया है। शाह ने जाट मतदाताओं द्वारा हमेशा भाजपा का साथ देने के लिए आभार जताते हुए यह दावा भी किया कि किसानों के सर्वमान्य बड़े नेता महेंद्र सिंह टिकैत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा किसी ने सम्मान नहीं दिया है।
बैठक में 2017 से पहले पश्चिम उत्तर प्रदेश के हालात, सपा सरकार के दौरान हुए मुजफ्फरनगर दंगे, मोदी-योगी सरकार के दौरान अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर और जाट आरक्षण सहित तमाम मुद्दों पर खुल कर चर्चा हुई । बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री और मुजफ्फरनगर से लोक सभा सांसद संजीव बालियान ने कहा कि जाट समुदाय ने हमेशा से ही भाजपा का साथ दिया है। अमित शाह जाट नेताओं के साथ इस तरह की बैठकें पहले भी करते रहे हैं। इस बैठक में भी हमारे समाज के कुछ महत्वपूर्ण लोग आए थे , उन्होंने अपनी बातें रखी और दोनों तरफ से अच्छा संवाद हुआ। कुछ लोगों ने जाट आरक्षण का मसला उठाया जिस पर गृह मंत्री ने कहा कि यह उनके दिमाग में भी है।
बालियान ने यह भी दावा किया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कोई भी अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री नहीं बनाना चाहता है। दरअसल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट मतदाताओं ने पिछले कई चुनावों में खुल कर भाजपा का साथ दिया है लेकिन इस बार किसान आंदोलन और अखिलेश-जयंत गठबंधन की वजह से यह कहा जा रहा है कि जाट भाजपा से अलग हो सकता है इसलिए एक बार फिर से मोर्चा संभालते हुए अमित शाह ने स्वयं जाट समुदाय को साधने की कोशिश की है।
इनपुट- आईएएनएस