गुजरात में विधानसभा की 182 सीटों के लिए 1 दिसंबर को पहले चरण का मतदान होगा। चुनाव की तारीख नजदीक आता देख राजनीतिक पार्टियों ने जीत के लिए अपनी तैयारी पूरी कर ली है। आज हम सोमनाथ विधानसभा सीट की बात करने वाले हैं। जिसपर भाजपा को कम ही सफलता मिलती है। इस सीट पर कांग्रेस का जलवा ही देखने को मिलता है। चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार, 1960 में गुजरात के गठन के बाद 1962 से लेकर 2017 तक हुए 13 विधानसभा चुनावों में केवल दो बार ही भाजपा के उम्मीदवार को सीट पर जीत मिली है। वहीं कांग्रेस को आठ बार जीत मिली है। सोमनाथ विधानसभा सीट पर 1967 में स्वंतत्र पार्टी, 1980 में जनता पार्टी और 1990 में जनता दल के उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी।
सोमनाथ विधानसभा सीट गिर-सोमनाथ जिले में पड़ती है। यहां से किसी एक पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने वाला उम्मीदवार दोबारा उसी पार्टी के टिकट पर चुनाव नहीं जीत सका है। केवल दो बार ही ऐसा हुआ, जब वर्तमान विधायक ने अगले चुनाव में जीत दर्ज की हो। वहीं दोनों ही मामलों में इन विधायकों ने दूसरे चुनाव से पहले दल बदल लिए थे। 1967 के चुनावों में केसर भगवान दोडिया ने स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता था। उन्होंने 1972 में भी इस सीट पर जीत दर्ज की थी लेकिन तब वह कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे थे। इसके बाद 1990 में यहां से जनता दल के जसुभाई बराड ने जीत हासिल की थी। फिर उन्होंने 1995 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था। हालांकि वह 1998 में हुए चुनावों में हार गए थे। वह 2007 का चुनाव भी हार गए थे। हालांकि 2012 में वह जीत गए थे। लेकिन वह 2017 का चुनाव कांग्रेस के उम्मीदवार से हार गए थे।
कितनी है सीट पर मतदाताओं की संख्या?
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, सोमनाथ विधानसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या 2,62,942 है। जातीय समीकरण की बात करें, तो यहां कोली समुदाय, मुस्लिम, अहीर (यादव) मतदाताओं की तादाद काफी ज्यादा है। ये समुदाय उम्मीदवारों की हार और जीत में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। साल 2011 की जनणता के अनुसार, इस क्षेत्र की 8.5 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति और करीब दो फीसदी आबादी अनुसूचित जानजाति की है। वहीं अल्पसंख्यक मतदाताओं की आबादी 10 फीसदी से अधिक है।