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चुनाव आचार संहिता क्‍या है? कब और किन-किन चीजों पर रहेगी पाबंदी; जानें नियम और शर्तें

चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, सभी चुनाव आचार संहिता के दायरे में आती हैं। 2024 लोकसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान होने के बाद आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी जिसका मतलब चुनाव आयोग के वो निर्देश जिनका पालन चुनाव खत्म होने तक हर पार्टी को करना होता है।

Written By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Mar 16, 2024 11:00 IST, Updated : Mar 16, 2024 11:00 IST
model code of conduct
Image Source : FILE PHOTO चुनावी तारीखों की घोषणा के साथ आचार संहिता लागू हो जाती है।

आज लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान होने वाला है। दोपहर तीन बजे चुनाव प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा जिसमें चुनाव की तारीखों की घोषणा की जाएगी। खबर है कि इस बार लोकसभा चुनाव सात से आठ चरण में हो  सकते हैं। लोकसभा के साथ-साथ ओडिशा, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश के विधानसभा के भी चुनाव कराए जाएंगे तो आज इन चुनावों की तारीखों का भी ऐलान होगा। पिछली बार अप्रैल-मई में चुनाव हुए थे, इस बार भी इसी दौरान चुनाव होंगे।

2024 लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी जिसका मतलब चुनाव आयोग के वो निर्देश जिनका पालन चुनाव खत्म होने तक हर चुनाव लड़ने वाली पार्टी को करना होता है। चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही वहां चुनाव आचार संहिता भी लागू हो जाती हैं। चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, सभी चुनाव आचार संहिता के दायरे में आती हैं।

क्या होती है आदर्श आचार संहिता?

जब भी चुनाव आयोग की ओर से चुनाव का आयोजन किया जाता है, तो इससे पहले से ही आदर्श चुनाव संहिता को लागू किया जाता है, जिसकी मदद से चुनाव पूरी तरह से निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से हो सके। इसके तहत कुछ नियमों को तय किया जाता है, जिसका चुनावी प्रक्रिया के दौरान संबंधित राजनीतिक पार्टियों को पालन करना होता है। चुनाव आचार संहिता को चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही लागू कर दिया जाता है और यह चुनाव समापन तक जारी रहती है।

आचार संहिता का पालन नहीं करने पर क्या होता है?

यदि कोई राजनीतिक दल या फिर राजनीतिक दल का कोई प्रत्याशी आदर्श आचार संहिता का पालन नहीं करता है, तो उस पर चुनाव आयोग की ओर से कार्रवाई की जाती है। उदाहरण के तौर पर उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है। यदि जरूरत पड़े तो आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हो सकता है, वहीं नियमों के उल्लंघन पर जेल भी जाना पड़ सकता है।

राजनीतिक सभाओं से जुड़े नियम:

  • सभा के स्थान व समय की पूर्व सूचना पुलिस अधिकारियों को दी जाए।
  • सभा स्थल में लाउडस्पीकर के उपयोग की अनुमति पहले प्राप्त करें।
  • दल या अभ्यर्थी पहले ही सुनिश्चित कर लें कि जो स्थान उन्होंने चुना है, वहॉं निषेधाज्ञा तो लागू नहीं है।
  • सभा के आयोजक विघ्न डालने वालों से निपटने के लिए पुलिस की सहायता करें।

सत्ताधारी दल के लिए नियम:

  • कार्यकलापों में शिकायत का मौका न दें।
  • मंत्री शासकीय दौरों के दौरान चुनाव प्रचार के कार्य न करें।
  • इस काम में शासकीय मशीनरी तथा कर्मचारियों का इस्तेमाल न करें।
  • सरकारी विमान और गाड़ियों का प्रयोग दल के हितों को बढ़ावा देने के लिए न हो।
  • हेलीपेड पर एकाधिकार न जताएं।
  • विश्रामगृह, डाक-बंगले या सरकारी आवासों पर एकाधिकार नहीं हो।
  • इन स्थानों का प्रयोग प्रचार कार्यालय के लिए नहीं होगा।
  • सरकारी धन पर विज्ञापनों के जरिये उपलब्धियां नहीं गिनवाएंगे।
  • मंत्रियों के शासकीय भ्रमण पर उस स्थिति में गार्ड लगाई जाएगी जब वे सर्किट हाउस में ठहरे हों।
  • कैबिनेट की बैठक नहीं करेंगे।
  • स्थानांतरण तथा पदस्थापना के प्रकरण आयोग का पूर्व अनुमोदन जरूरी।

अधिकारियों के लिए नियम:

  • शासकीय सेवक किसी भी अभ्यर्थी के निर्वाचन, मतदाता या गणना एजेंट नहीं बनेंगे।
  • मंत्री यदि दौरे के समय निजी आवास पर ठहरते हैं तो अधिकारी बुलाने पर भी वहॉं नहीं जाएंगे।
  • चुनाव कार्य से जाने वाले मंत्रियों के साथ नहीं जाएंगे।
  • जिनकी ड्यूटी लगाई गई है, उन्हें छोड़कर सभा या अन्य राजनीतिक आयोजन में शामिल नहीं होंगे।
  • राजनीतिक दलों को सभा के लिए स्थान देते समय भेदभाव नहीं करेंगे।

सामान्य नियम:

  • कोई भी दल ऐसा काम न करे, जिससे जातियों और धार्मिक या भाषाई समुदायों के बीच मतभेद बढ़े या घृणा फैले।
  • राजनीतिक दलों की आलोचना कार्यक्रम व नीतियों तक सीमित हो, न ही व्यक्तिगत।
  • धार्मिक स्थानों का उपयोग चुनाव प्रचार के मंच के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
  • मत पाने के लिए भ्रष्ट आचरण का उपयोग न करें। जैसे-रिश्वत देना, मतदाताओं को परेशान करना आदि।
  • किसी की अनुमति के बिना उसकी दीवार, अहाते या भूमि का उपयोग न करें।
  • किसी दल की सभा या जुलूस में बाधा न डालें।
  • राजनीतिक दल ऐसी कोई भी अपील जारी नहीं करेंगे, जिससे किसी की धार्मिक या जातीय भावनाएं आहत होती हों।

जुलूस संबंधी क्या है नियम?

  • जुलूस का समय, शुरू होने का स्थान, मार्ग और समाप्ति का समय तय कर सूचना पुलिस को दें।
  • जुलूस का इंतजाम ऐसा हो, जिससे यातायात प्रभावित न हो।
  • राजनीतिक दलों का एक ही दिन, एक ही रास्ते से जुलूस निकालने का प्रस्ताव हो तो समय को लेकर पहले बात कर लें।
  • जुलूस सड़क के दायीं ओर से निकाला जाए।
  • जुलूस में ऐसी चीजों का प्रयोग न करें, जिनका दुरुपयोग उत्तेजना के क्षणों में हो सके।

मतदान के दिन संबंधी नियम:

  • अधिकृत कार्यकर्ताओं को बिल्ले या पहचान पत्र दें।
  • मतदाताओं को दी जाने वाली पर्ची सादे कागज पर हो और उसमें प्रतीक चिह्न, अभ्यर्थी या दल का नाम न हो।
  • मतदान के दिन और इसके 24 घंटे पहले किसी को शराब वितरित न की जाए।
  • मतदान केन्द्र के पास लगाए जाने वाले कैम्पों में भीड़ न लगाएं। कैम्प साधारण होने चाहिए।
  • मतदान के दिन वाहन चलाने पर उसका परमिट प्राप्त करें।

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