लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है। सभी सियासी पार्टियां चुनावी अभियान में जुटी हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि अप्रैल-मई महीने में लोकसभा चुनाव हो सकते हैं। मध्य प्रदेश में 29 लोकसभा सीटें हैं। इनमें से भोपाल लोकसभा सीट की बात की जाए तो इस पर करीब तीन दशक से बीजेपी का दबदबा है। कांग्रेस ने बीजेपी उम्मीदवारों को हराने के लिए कई बड़े दिग्गजों को चुनावी मैदान में उतारे, लेकिन उन्हें हर बार शिकस्त मिली।
क्या रहे पिछले चुनाव के नतीजे?
वर्तमान में भोपाल लोकसभा सीट से बीजेपी नेता साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सांसद हैं। पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने बड़ा सियासी दांव चलते हुए इस सीट से मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा था। हालांकि, चुनावी नतीजे में साध्वी प्रज्ञा ने दिग्विजय सिंह को 3 लाख 64 हजार 822 वोटों से मात दे दी। साध्वी प्रज्ञा को कुल 8 लाख 66 हजार 482 वोट मिले थे, जबकि दिग्विजय सिंह को 5 लाख 1 हजार 660 वोट हासिल हो थे।
कितनी है वोटर्स की संख्या
2011 की जनगणना के अनुसार, भोपाल लोकसभा सीट पर 19 लाख (1,957,241) से ज्यादा वोटर्स हैं। इनमें से 10 लाख (1,039,153) से ज्यादा पुरुष और 9 लाख (918,021) से ज्यादा महिला वोटर्स हैं।
साल 1989 से बीजेपी का दबदबा
भोपाल लोकसभा सीट के अंतगर्त आठ विधानसभा क्षेत्र लगते हैं, जिनमें बैरसिया, भोपाल उत्तर, नरेला, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, भोपाल मध्य, गोविंदपुरा, हुजूर और सीहोर विधानसभा आती है। भोपाल लोकसभा सीट पर साल 1989 से बीजेपी दबदबा है। हालांकि, 1952 से 1989 के बीच यह सीट एक बार भारतीय जन संघ और एक बार जनता दल के खाते में आई। इसके बाद 1989 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है।
भोपाल सीट का चुनावी इतिहास
भोपाल लोकसभा सीट का गठन 1952 में हुआ था। 1952 में पहली बार कांग्रेस के सईदउल्ला रज्मी यहां से सांसद बने थे, जबकि 1957-1962 तक मैमूना सुल्तान, 1967 में भारतीय जन संघ के जगन्नाथराव जोशी, 1971 में कांग्रेस के शंकरदयाल शर्मा, 1977 में जनता दल से आरिफ बेग, 1980 से कांग्रेस के शंकरदयाल शर्मा, 1984 में कांग्रेस के केएन पठान, 1989 से 1998 तक बीजेपी के सुशीलचंद्र वर्मा, 1999 में बीजेपी से उमा भारती, 2004 और 2009 में कैलाश जोशी, 2014 में आलोक संजर और वर्तमान में प्रज्ञा ठाकुर सांसद हैं।
आडवाणी भी लड़ना चाहते थे चुनाव
2014 के लोकसभा चुनाव से पहले ऐसी खबरें सामने आई थीं कि लाल कृष्ण आडवाणी भोपाल से चुनाव लड़ना चाहते थे। बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति ने उन्हें गांधीनगर से चुनाव लड़ने को कहा था, लेकिन कहा जाता है कि आडवाणी इस फैसले से नाखुश थे और भोपाल से चुनाव लड़ने पर अड़े हुए थे। यह सस्पेंस कई दिनों तक जारी रहा, आखिर में आडवाणी ने गांधीनगर से चुनाव लड़ने का फैसला किया, जहां से उन्हें जबरदस्त जीत मिली थी।