कर्नाटक EXIT पोल: कर्नाटक विधानसभा की 224 सीटों के लिए हुए मतदान के वोटों की गिनती 13 मई को होगी। बुधवार की सुबह सात बजे से शाम 6 बजे तक मतदाताओं ने जमकर वोट किया। इंडिया टीवी सीएनएक्स एग्जिट पोल के नतीजे बता रहे हैं कि इस बार कांग्रेस कर्नाटक में सरकार बना सकती है। 224 सीटों में से कांग्रेस को 110 से 120 सीटें मिल सकती हैं। वहीं, बीजेपी को 80 से 90 सीटें मिलती दिख रही हैं। जेडीएस को 20 से 24 सीटें मिल सकती हैं तो वहीं अन्य को 1 से 3 सीटें मिल सकती हैं। इस अनुमान के मुताबिक कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी हो सकती है और एक बार फिर से वापसी कर सकती है। बीजेपी और जेडीएस को नुकसान होता दिख रहा है।
जानें बीजेपी और जेडीएस से क्या हुई गलती
1- 2024 के पहले एक बड़ा राज्य जीत रही है कांग्रेस
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2- कांग्रेस का प्लस प्वाइंट रीजनल लीडर, लोकल मुद्दे
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3- बीएस येदियुरप्पा को हटाना बीजेपी को पड़ा महंगा
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4- दक्षिण में प्रियंका से प्रचार वाला प्रयोग हुआ पास
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5- मुस्लिम वोट PFI, बजरंग बली के मुद्दे पर एकजुट हुआ
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6- कांग्रेस ने जेडीएस के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाई
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7- मल्लिकार्जुन खरगे को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का फायदा
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8- मोदी विरोधी मोर्चा में कांग्रेस का प्रभाव बढ़ेगा
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9- कर्नाटक से कांग्रेस के लिए खुला साउथ का ब्लॉक रोड
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10- कम मार्जिन से बहुमत...इसलिए सीएम चुनना कांग्रेस के लिए चैलेंज
कर्नाटक EXIT पोल के 10 बड़े मैसेज-
- कांग्रेस के खाते में पहला बड़ा राज्य आ रहा है। 2024 से पहले कर्नाटक जीत से कांग्रेस का मनोबल थोड़ा बढ़ेगा
- कांग्रेस के पास अगर रीज़नल लीडर्स हुए और लोकल इश्यूज़ पर अगर उसने लोकसभा का चुनाव लड़ा तो कांग्रेस टफ फाइट दे सकती है।
- येदियुरप्पा को हटाना बीजेपी को महंगा पड़ा। येदियुरप्पा को पहले हटाया गया, फिर स्टार कैंपेनर बनाया गया लेकिन येदियुरप्पा सीएम कैंडिडेट नहीं थे। सिद्धरामैया और डीके शिवकुमार सीएम प्रोबेबल की तरह सामने आए, जिसका फायदा कांग्रेस को मिला।
- राहुल गांधी से ज़्यादा प्रियंका गांधी ने प्रचार किया। प्रियंका ने 35 रैलियां और रोड शो किए। दक्षिण के राज्यों में कांग्रेस ने प्रियंका को उतारकर नया प्रयोग किया और उनको इंदिरा गांधी से जोड़कर प्रेजेंट किया, इसका फायदा मिला।
- मुस्लिम वोट PFI और बजरंग बली के मुद्दे पर एकजुट हुआ और एकमुश्त मुस्लिम वोट कांग्रेस को मिला। जेडीएस से मुस्लिम वोट छिटका और कांग्रेस को शुद्ध फायदा हुआ। मुस्लिम वोट को एकजुट करने का यह कांग्रेस का फॉर्मूला था जो क्लिक कर गया।
- मल्लिकार्जुन खरगे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद उनका गृह राज्य कर्नाटक कांग्रेस के पास आ गया। दलित वोटर का भी कांग्रेस की तरफ बस थोड़ा सा झुकाव हुआ है।
- मोदी विरोधी सारे नेता कर्नाटक चुनाव का ही इंतज़ार कर रहे थे। कर्नाटक के नतीजे के बाद बाकी विपक्षी पार्टियां कांग्रेस से हाथ मिलाने की कोशिश कर सकती हैं लेकिन अभी याद रखना होगा कि इसी साल तीन बड़े हिंदी भाषी राज्यों के चुनाव बाकी हैं- ये हैं राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़।
- दक्षिण भारत में बीजेपी के लिए बड़ा झटका है क्योंकि कर्नाटक को उसके लिए दक्षिण का द्वार कहा जाता है और उस द्वार पर रोड ब्लॉक आ गया है। इसी साल दक्षिण के एक और राज्य तेलंगाना में चुनाव है। तेलंगाना के चुनाव में बीजेपी को पहले से ज़्यादा मेहनत करनी होगी।
- कांग्रेस सरकार बना सकती है लेकिन मार्जिन बहुत कम होगा। इसलिए कांग्रेस आलाकमान को अगले 5 साल बहुत संभल कर चलना होगा। सबसे पहले तो मुख्यमंत्री सही से चुनना होगा। अगर यहां मुख्यमंत्री बनाने में कांग्रेस ने गलती की तो वही होगा जो मध्य प्रदेश और राजस्थान में दिख चुका है। एक राज्य में सरकार गिर गई और दूसरे राज्य में कांग्रेस की धुकधुकी बढ़ी रहती है..
- बीजेपी को हर राज्य में कद्दावर रीज़नल लीडर प्रोजेक्ट करना पड़ेगा। बसवराज बोम्मई का कद सिद्धरामैया की तुलना में कम दिख रहा है। एंटी इमकम्बैंसी हावी दिख रहा है। पूरा चुनाव स्टेट गवर्नमेंट के परफॉर्मेंस पर हुआ। स्टेट गवर्नमेंट में मज़बूत लीडरशिप नहीं हुई तो हर राज्य में यूपी जैसा रिज़ल्ट नहीं दोहराया जा सकता।
नोटः ये एग्जिट पोल के संभावित अनुमान हैं