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Karnataka Election 2023: कर्नाटक चुनाव से जुड़े आपके हर सवाल का जवाब? बड़े काम की है इंफॉर्मेशन

इस लेख के जरिए हम आपको कर्नाटक से जुड़े आपके सवालों का हम जवाब देने वाले हैं। इस लेख में लिंगायत, भाजपा का अस्तित्व, महिला पुरुष वोटर संबंधित कई सवालों के जवाब देने वाले हैं।

Written By: Avinash Rai
Updated on: May 13, 2023 10:01 IST
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Image Source : INDIA TV कर्नाटक चुनाव से जुड़े आपके हर सवाल का जवाब?

Karnataka Assembly Election Result: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मद्देनजर वोटों की काउंटिंग शुरू हो चुकी है। राज्य में किस पार्टी की जीत होगी 13 मई की शाम तक यह तय हो जाएगा। लेकिन कर्नाटक राज्य से जुड़े लोगों के कई तरह के सवाल होते हैं जिसे जानने के लिए लोग उत्सुक रहते हैं। ऐसे में इस लेख के जरिए हम आपको कर्नाटक से जुड़े आपके सवालों का हम जवाब देने वाले हैं। इस लेख में लिंगायत, भाजपा का अस्तित्व, महिला पुरुष वोटर संबंधित कई सवालों के जवाब देने वाले हैं।

कर्नाटक में महिला व पुरुष वोटरों की संख्या

कर्नाटक में कुल आबादी 6.41 करोड़ है। चुनाव आयोग द्वारा जारी डेटा के मुताबिक राज्य में कुल 5.21 करोड़ मतदाता हैं। महिला वोटरों की संख्या 2.59 करोड़ है। वहीं पुरुष मतदाताओं की संख्या 2.62 करोड़ है। यानी राज्य में पुरुष और महिला मतदाताओं के बीच का अंतर काफी मामूली है। वहीं विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं की संख्या 9.17 लाख है। वहीं अगामी विधानसभा में और 41 हजार मतदाताओं को जोड़ा जाएगा क्योंकि 1 अप्रैल 2023 तक 18 साल के हो गए हैं। 

कितने हैं बुज़ुर्ग मतदाताओं की संख्या?

कर्नाटक में बुजुर्ग मतदाताओं की संख्या 12.15 लाख है। इन उम्मीदवारों की आयु 80-100 वर्ष के बीच है। वहीं राज्य चुनाव आयोग द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक 100 से अधिक की आयु वाले वोटरों की संख्या 16,976 है। वहीं विकलांग वोटरों की संख्या 5.55 लाख है। बुजुर्गों को वोट देने के लिए उनके घर पर ही मतदान की व्यवस्था कराई गई है। यह व्यवस्था केवल उन बुजुर्गों के लिए की गई है जिनकी आयु 100 वर्ष से अधिक है। 

कर्नाटक में विधानसभा सीटें और आरक्षित सीटें

कर्नाटक में कुल 224 विधानसभा सीटें हैं। विधानसभा चुनाव 2023 कुल 36 सीटों को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया है। वहीं 15 सीटों को अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित किया गया है। राज्य में बहुमत पाने के लिए किसी भी पार्टी को 113 सीटों की आवश्यकता है। अगर कोई पार्टी 113 सीट हासिल नहीं कर पाती है तो राज्य में गठबंधन सरकार बनेगी या फिर कुछ और तरीके अपनाने होंगे। 

महिलाएं और पुरुष मतदाता?

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पुरुष और महिला मतदाताओं की बात करे साल 1978 में 65-70 फीसदी महिलाओं ने वोट दिया था। वहीं 2018 विधानसभा चुनाव में लगभग 70 फीसदी से अधिक महिला मतदाताओं ने मतदान किया था। वहीं 1978 में लगभग 75-80 फीसदी पुरुषों ने वोट दिया था। वहीं विधानसभा चुनाव 2018 में लगभग 70-75 फीसदी पुरुषों ने मतदान किया था।

कब बना कर्नाटक राज्य?

मैसूर साम्राज्य व मैसूर नाम तो आपने पहले भी कई बार सुना होगा जहां के राजा टीपू सुल्तान हुआ करते थे। 1956 में पहली बार अस्तित्व में आए इस राज्य को मैसूर के नाम से जाना जाता था जो आगे चलकर साल 1973 में कर्नाटक नाम से जाना जाने लगा। कर्नाटक को दक्षिण भारत के हृदय के रूप में भी जाना जाता है। इस नाम कर्नाटक इसलिए पड़ा क्योंकि यहां की भूमि ऊंची है और यहां की मिट्टी काली है। इसलिए काली मिट्टी वाली ऊंची भूमि यानी कर्नाटक कहा गया। करू का अर्थ है काली और ऊंची और नाट का अर्थ है जो काली मिट्टी से आया है। बता दें कि दक्कन के पठार के इस इलाके की मिट्टी काली है। इसलिए इसे कर्नाटक कहा जाने लगा। 

कर्नाटक में धर्मों का गणित और जीडीपी?

कर्नाटक की 84 फीसदी आबादी हिंदू है। सरकारी आंकड़े के मुताबिक राज्य में 12.9 फीसदी मुस्लिम आबादी है। वहीं 1.87 फीसदी ईसाई राज्य में रहते हैं। वहीं कर्नाटक की जीडीपी देश की कुल जीडीपी में 8 फीसदी का योगदान देती है। 

लिंगायत की अहमियत?

कर्नाटक की कुल आबादी में 116-17 फीसदी लोग लिंगायत समुदाय से हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा भी लिंगायत समुदाय से आते हैं। यह समुदाय राजनीतिक रूप से काफी एक्टिव है। लिंगायत के लिए ऐसा भी कहा जाता है कि कर्नाटक में लिंगायत का साथ जिस भी राजनीतिक दल को मिलता है उसके लिए जीत आसान हो जाती है। 

वोक्कालिगा समुदाय की अहमियत

काश्तकार समाज यानि वोक्कालिगा का प्रभाव कर्नाटक की लगभग 11 सीटों पर है जो कर्नाटक के दक्षिणी भाग में स्थित है। किसी भी राजनीतिक दल को इनका समर्थन जीत की तरफ बढ़ा सकता है। कर्नाटक की राजनीति में लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय की भूमिका को कोई भी राजनीतिक दल नकार नहीं सकता है। 

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