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Himachal Pradesh: संयोग से सीएम बने थे जयराम ठाकुर, हार के साथ शुरू हुआ था करियर, जानिए कैसा राजनीतिक सफर

हिमाचल प्रदेश के चुनावी नतीजे आ चुके हैं और इस बार बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है। लेकिन 2017 में जयराम ठाकुर हिमाचल के सीएम संयोग से बने थे।

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Updated on: December 08, 2022 22:56 IST
हिमाचल प्रदेश के निर्वर्तमान सीएम जयराम ठाकुर - India TV Hindi
Image Source : PTI हिमाचल प्रदेश के निर्वर्तमान सीएम जयराम ठाकुर

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने साल 2017 के हिमाचल विधानसभा चुनाव में भले ही जीत हासिल कर ली थी, लेकिन मुख्यमंत्री पद के चेहरे प्रेम कुमार धूमल को सुजानपुर सीट से हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में पार्टी ने मंडी जिले की सिराज सीट से पांच बार के विधायक ठाकुर को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया और इस तरह जयराम ठाकुर संयोग से हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए थे। लेकिन इस बार के चुनाव में वह हिमाचल में पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के स्वाभाविक चेहरे थे। 12 नवंबर को हुए मतदान से काफी पहले ही भाजपा ने ठाकुर को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया था। हालांकि, आज जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ती रही, यह स्पष्ट होता गया कि भाजपा राज्य में सत्ता बरकरार नहीं रख पाएगी। बता दें कि साल 1985 के बाद से दोनों मुख्य दल बारी-बारी से हिमाचल में सरकार बनाते आए हैं। 

...जब सीएम बदलने की आवाजें हुई बुलंद

विपक्षी नेताओं ने जब उन्हें “संयोगवश मुख्यमंत्री बनने वाला” कहा, तो ठाकुर ने सामान्य उत्तर दिया, “हां, मैं हूं और मैं यहां रहूंगा।” हालांकि, जब भी वह दिल्ली जाते थे, तब अटकलें लगने लगती थीं कि पार्टी आलाकमान उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा सकता है। साल 2021 में जब हिमाचल की तीन विधानसभा और मंडी लोकसभा सीट के लिये उपचुनाव में भाजपा की हार हुई, तो बदलाव की आवाजें बुलंद हो गईं, लेकिन पार्टी उनके साथ खड़ी रही। ठाकुर ने अपने कार्यकाल के दौरान जब “डबल इंजन” की बात की, तो उनके विरोधियों ने दावा किया कि राज्य सरकार दिल्ली से चल रही है। नौकरशाही के संचालन के ठाकुर के तरीके को लेकर भी विपक्ष उनपर हमलावर रहा। पांच साल के उनके कार्यकाल के दौरान सात अलग-अलग मुख्य सचिव रहे और नौकरशाही में नियमित तौर पर फेरबदल होता रहा। 

राजमिस्त्री के बेटे को मिली थी हिमाचल की कुर्सी
जय राम ठाकुर का जन्म 6 जनवरी, 1965 को मंडी की थुनाग तहसील के टिंडी गांव में हुआ था। उनके पिता झेठू राम राजमिस्त्री का काम करते थे और ठाकुर गांव के स्कूल में पढ़ते थे। उन्होंने 1987 में मंडी के वल्लभ राजकीय कॉलेज से स्नातक और चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर किया। ठाकुर का विवाह एक डॉक्टर साधना ठाकुर हुआ है, और उनकी दो बेटियां भी उसी पेशे में प्रवेश करने वाली हैं। ठाकुर का राजनीतिक जीवन 1993 के विधानसभा चुनावों में हार के साथ शुरू हुआ, लेकिन उन्होंने लगातार छह विधानसभा चुनाव जीते। साल 1998, 2003 और 2007 में उन्होंने चचियोट और 2012 व 2017 में सिराज सीट से जीत हासिल की। इस बार के चुनाव में भी उन्हें सिराज से जीत हासिल हुई है। 

 

एबीवीपी और भाजयुमो के संभाले अहम पद
जयराम ठाकुर कॉलेज में आरएसएस से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में शामिल हुए और जम्मू-कश्मीर के राज्य सचिव व संगठनात्मक सचिव समेत विभिन्न पदों पर रहे। प्रदेश भाजपा का उपाध्यक्ष और अध्यक्ष बनने से पहले वह भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। साल 2009 में, उन्हें प्रेम कुमार धूमल की अध्यक्षता वाली राज्य की भाजपा सरकार में शामिल किया गया और ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री बनाया गया। वह मंडी जिले से मुख्यमंत्री बनने वाले पहले व्यक्ति रहे। साल 2017 में, भाजपा ने उनके मंडी जिले की 10 में से नौ सीटों पर जीत हासिल की थी। साल 2013 में, उन्होंने मंडी सीट से लोकसभा उपचुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस की मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह से हार गए थे। 

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