कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में गुरुवार को 40 सीट जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया और इस तरह राज्य में हर पांच साल पर राज बदलने का रिवाज कायम रहा। चुनाव नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को अपना इस्तीफा सौंप दिया। कांग्रेस ने शुक्रवार को अपने विधायकों की बैठक शिमला में बुलाई है, जिसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा बतौर पर्यवेक्षक शामिल होंगे। इस बैठक में विधायक दल का नेता चुनने के फैसले के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अधिकृत करते हुए प्रस्ताव पारित किया जा सकता है।
निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, 68 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस ने 40 सीट पर जीत दर्ज की है। वहीं, भाजपा को 25 सीट मिली है। तीन सीट पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। आम आदमी पार्टी (आप) के हिस्से में कोई सीट नहीं आई। उसने 67 सीट पर चुनाव लड़ा था। हिमाचल प्रदेश का 1985 से यह राजनीतिक इतिहास रहा है कि यहां की जनता ने किसी भी पार्टी को लगातार दो बार सत्ता की चाबी नहीं सौंपी है। लेकिन केवल हिमाचल का रिवाज ही कांग्रेस की जीत का कारण नहीं है, इसके पीछे कई और फैक्टर भी हैं।
पुरानी पेंशन योजना बहाली का वादा
कांग्रेस की पांच साल बाद हिमाचल प्रदेश की सत्ता में वापसी का मुख्य आधार पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली का वादा और सत्ता विरोधी माहौल रहा। कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने, 300 यूनिट निशुल्क बिजली देने, महिलाओं को प्रति महीने 1500 रुपये देने और कई अन्य वादे किए थे।
प्रियंका के नेतृत्व का मिला फायदा
हिमाचल में कांग्रेस के प्रचार अभियान की कमान मुख्य रूप से पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने ही संभाली थी। प्रियंका गांधी वाद्रा की अगुवाई में कांग्रेस ने अपने प्रचार अभियान को ओपीएस के आधार पर खड़ा किया था और उसे इसका फायदा भी मिला। गत 12 नवंबर को संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जहां विकास के अपने एजेंडे की बदौलत चुनावी सफलता दोहराने की उम्मीद कर रही थी, तो वहीं मुख्य विपक्षी कांग्रेस मतदाताओं से निवर्तमान सरकार को सत्ता से बेदखल करने की चार दशक पुरानी परंपरा को बरकरार रखने की आशा कर रही थी।
हर बार सत्ता बदलने का रिवाज
भाजपा के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रचार अभियान की कमान संभाली थी और कहा था कि भाजपा के चिह्न ‘‘कमल’’ के लिए पड़ने वाला प्रत्येक वोट उनकी क्षमता बढ़ाएगा। भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई चुनावी सभाएं कीं, जबकि हिमाचल प्रदेश का पिछले चार दशकों से हर बार सत्ता बदलने का इतिहास रहा है। भाजपा ने राज्य की महिला मतदाताओं की अच्छी-खासी तादाद होने के कारण उन्हें लुभाने के लिए सोच-समझकर कदम उठाए थे। पार्टी ने उनके लिए एक अलग घोषणापत्र भी जारी किया था। भाजपा ने समान नागरिक संहिता लागू करने और राज्य में आठ लाख नौकरियां पैदा करने का वादा किया था।