चंडीगढ़: पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़, जिनके नाम पर मुख्यमंत्री पद के लिए एक समय विचार चल रहा था, ने कहा कि वह चुनावी राजनीति छोड़ चुके हैं, लेकिन पार्टी के साथ बने रहेंगे। लुधियाना में रविवार को संवाददाताओं से बातचीत में जाखड़ ने कहा, ‘मैं सक्रिय राजनीति से दूर हूं। यह मैं पिछले पांच दिनों से कह रहा हूं। लेकिन मैं कांग्रेस का हिस्सा बना हुआ हूं।’ वह राजनीति में बने रहने से जुड़े सवाल का जवाब दे रहे थे।
68 वर्षीय जाखड़ कांग्रेस नेता राहुल गांधी की वर्चुअल रैली के सिलसिले में रविवार को लुधियाना में थे। कुछ दिन पहले जाखड़ ने दावा किया था कि बीते साल अमरिंदर सिंह के अचानक हटने के बाद पार्टी के 42 विधायक उन्हें मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते थे। इस खुलासे के बाद ‘आप’ ने कांग्रेस पर जाति और धर्म के आधार पर राजनीति करने का आरोप लगाया था, जबकि भाजपा ने पार्टी के ‘धर्मनिरपेक्षता’ के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जाखड़ को ‘उनके धर्म के कारण’ मुख्यमंत्री बनाने से इनकार कर दिया गया।
अमरिंदर सिंह के हटने के बाद सुनील जाखड़ मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे थे, लेकिन पार्टी ने चरणजीत सिंह चन्नी को तरजीह दी, जो पंजाब के अनुसूचित जाति समुदाय के पहले मुख्यमंत्री बने। सुनील जाखड़ पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ के बेटे हैं। उनके भतीजे संदीप जाखड़ 20 फरवरी को होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में अबोहर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर किस्मत आजमा रहे हैं।
1954 में अबोहर के पंजकोसी गांव में जन्मे सुनील जाखड़ 2002 से 2017 के बीच अबोहर से तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं। वह राज्य की पिछली अकाली-भाजपा सरकार के दौरान पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं। जाखड़ 2017 में अबोहर विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार से हार गए थे। उन्होंने 2017 में सांसद विनोद खन्ना की मृत्यु के बाद गुरदासपुर लोकसभा सीट से सफलतापूर्वक उपचुनाव लड़ा था।
जाखड़ को पंजाब कांग्रेस प्रमुख के रूप में भी नियुक्त किया गया था। बाद में, उनकी जगह नवजोत सिंह सिद्धू ने ले ली। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान जाखड़ को गुरदासपुर सीट पर भाजपा उम्मीदवार और अभिनेता सनी देओल के खिलाफ 82,000 से अधिक मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था।