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वे 6 फैक्टर जिनसे गुजरात में बीजेपी को मिली ऐतिहासिक जीत, पुराने रिकॉर्ड हुए ध्वस्त

गुजरात विधानसभा की 182 सीटों में से 156 सीटें जीत कर बीजेपी ने गुजरात की सियासत में नया रिकॉर्ड बना दिया। आइये जानते हैं उन फैक्टर्स के बारे में जिनके चलते बीजेपी को गुजरात में इतनी बड़ी सफलता मिली।

Written By: Niraj Kumar
Published : Dec 09, 2022 13:44 IST, Updated : Dec 09, 2022 13:44 IST
जीत के बाद खुशी जताते गुजरात बीजेपी के नेता
Image Source : AP जीत के बाद खुशी जताते गुजरात बीजेपी के नेता

Gujarat Election Results 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कर पुराने सभी रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया। बीजेपी की इस जीत के आगे सारे पूर्वानुमान धरे के धरे रह गए। इतनी बड़ी जीत की उम्मीद खुद पार्टी के नेताओं को भी नहीं रही होगी। अहम बात ये है कि ठीक पांच साल पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी केवल 99 सीटों तक सिमट कर रह गई थी और बहुत मुश्किल से बहुमत का आंकड़ा जुटा पाई थी। गुजरात में सत्ता में आने के बाद यह पार्टी का सबसे कमजोर प्रदर्शन था। लेकिन ठीक पांच साल बाद पार्टी ने अभूतपूर्व बहुमत हासिल कर लिया। विधानसभा की 182 सीटों में से 156 सीटें जीत कर  गुजरात की सियासत में नया रिकॉर्ड बना दिया। आइये जानते हैं वो फैक्टर्स जिसके चलते बीजेपी को गुजरात में इतनी बड़ी सफलता मिली।

चुनाव से एक साल पहले पूरी कैबिनेट को बदलने का फैसला

बीजेपी ने चुनाव से करीब साल भर पहले मुख्यमंत्री समेत पूरी कैबिनेट को बदल दिया। विजय रुपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बना दिया। पटेल पहली बार 2017 में विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने थे। बीजेपी का यह फैसला काफी चौंकानेवाला था। कैबिनेट में नए चेहरों को शामिल किया गया और कई पुराने और कद्दावर नेता कैबिनेट से बाहर कर दिए गए। पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष को भी बदल दिया। हालांकि इस फैसले से पार्टी के अंदर बगावत की संभावना भी लग रही थी लेकिन शीर्ष नेतृत्व के साहसिक फैसले को सभी ने माना और पार्टी 2022 की तैयारियों में जुट गई।

ग्राउंड लेवल से फीडबैक लेने के बाद टिकट दिया गया

चुनाव के समय जब टिकट देने की बारी आई तो पार्टी ने जमीनी स्तर से फीडबैक लेने के बाद ही टिकट देने का फैसला लिया। इस क्रम में पार्टी के बड़े-बड़े नेता भी टिकट से वंचित रह गए। पार्टी ने मेहसाणा से नितिन पटेल का टिकट काट दिया। पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी को भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया। हालांकि इन दोनों नेताओं ने मीडिया में आकर कहा कि हम चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। पार्टी ने कुल 42 विधायकों के टिकट काट दिया। टिकट बंटवारे में इस बात का पूरा ख्याल रखा गया कि जो उम्मीदावर जीत सकते हैं उन्हें ही टिकट दिया जाए। इस क्रम में कांग्रेस से BJP में आए नेताओं को भी टिकट मिला। 

जहां पार्टी कमजोर थी वहां पहले प्रचार शुरू किया

2017 में जिन सीटों पर बीजेपी हारी थी उनपर चुनाव प्रचार पहले शुरू किया गया।सौराष्ट्र में बीजेपी ने 6 महीने पहले ही प्रचार अभियान शुरू कर दिया था। उन विधायकों का टिकट काटा जिनको लेकर पब्लिक में गुस्सा था। पीएम मोदी और अमित शाह ने उन सीटों पर विशेष ध्यान दिया जहां 2017 में पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में पार्टी ने 5 मंत्रियों के टिकट काट दिए। जिन्हें टिकट मिला, उनमें से 19 मंत्री जीत गए। सिर्फ एक को हार मिली। कैबिनेट बदलना और नए मंत्री बनाना BJP के लिए सही साबित हुआ।

बागियों से निपटने में पूरी सख्ती

पार्टी ने बागियों से निपटने में पूरी सख्ती दिखाई। जिस किसी ने भी बगावत की कोशिश की तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई। बीजेपी ने ऐसे 12 नेताओं को सस्पेंड कर दिया जिन्होंने पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय के तौर पर नामांकन दाखिल किया था। नितिन पटेल और विजय रुपाणी जैसे बड़े नेताओं के टिकट कटे लेकिन किसी ने भी बगावत की कोशिश नहीं की।

कांग्रेस का कमजोर कैंपेन

गुजरात में एक मजबूत संगठन होने के बाद भी कांग्रेस नियोजित तरीके से इस चुनाव को नहीं लड़ पाई। कांग्रेस के पूरे प्रचार में प्लानिंग का अभाव दिखा। कांग्रेस के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी चुनाव प्रचार के लिए केवल एक दिन का वक्त निकाल सके। इस कमजोर कैंपेन का फायदा आम आदमी पार्टी ने भी उठाया। इससे बीजेपी विरोधी वोट कांग्रेस और आप में बंट गया और बीजेपी रिकॉर्ड सीटें जीतने में कामयाब रही।

पीएम मोदी का प्रचार और अमित शाह का मैनेजमेंट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनाव प्रचार और गृह मंत्री अमित शाह का बूथ मैनेजमेंट भी बेहद कारगर साबित हुआ। पीएम मोदी ने उन इलाकों में खासतौर से रैलियां और जनसभाएं की जिन इलाकों में 2017 में पार्टी का प्रदर्शन कमजोर रहा था। पीएम मोदी ने बार-बार ये कहा कि मैं गुजरात का बेटा हूं। मोदी के ये भावुक अपील भी इस जीत की एक बड़ी वजह बनी। वहीं अमित शाह ने बूथ लेवल पर हो रही तैयारियों को रोज फीडबैक लेना शुरू किया। कैंपेन का रिव्यू किया और हर छोटी-छोटी सी चीज पर विस्तार से चर्चा कर रणनीति बनाई। इससे ग्राउंड लेवल पर पार्टी की तैयारियां मजबूत हुई और पार्टी को एक बड़ी जीत मिली।

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