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BJP को देने जा रहे थे चुनौती, अब बाप-बेटे के बीच जंग, गुजरात चुनाव में आमने-सामने

बीटीपी के संस्थापक और उनके बेटे महेश वसावा के बीच सीधा मुकाबला होने वाला है। जहां बेटे महेश वसावा ने बीटीपी उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया, वहीं उनके पिता और पार्टी के संस्थापक छोटू वसावा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Updated on: November 14, 2022 18:51 IST
mahesh vasava chhotu vasava- India TV Hindi
Image Source : IANS महेश वसावा और छोटू वसावा

भरूच (गुजरात): अगले महीने गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए टिकटों के ऐलान के साथ ही बागी सुर भी राजनीतिक दलों का सिरदर्द बढ़ा रहे हैं। अब भरूच जिले के झगड़िया निर्वाचन क्षेत्र में भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) में भी दरार पड़ती नजर आ रही है। बीटीपी के संस्थापक और उनके बेटे महेश वसावा के बीच सीधा मुकाबला होने वाला है। जहां बेटे महेश वसावा ने बीटीपी उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया, वहीं उनके पिता और पार्टी के संस्थापक छोटू वसावा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।

मुझे जनादेश की जरुरत नहीं- छोटू वसावा

छोटू वसावा ने सोमवार को कहा, मुझे जनादेश की जरुरत नहीं है, अब समय आ गया है कि सभी पार्टियां जनादेश प्रणाली को समाप्त कर दें। 7 बार के विधायक छोटू वसावा जब आज सुबह अपनी उम्मीदवारी (नामांकन) दाखिल करने के लिए चुनाव अधिकारी के कार्यालय की ओर जा रहे थे, तब सैकड़ों कार्यकर्ता रैली में शामिल हुए। छोटू के करीबी सूत्रों ने बताया कि उन्होंने झगड़िया निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया है।

ईश्वर वसावा ने किया छोटू वसावा का समर्थन
जनादेश विवाद पर सीधा जवाब देने से बचते हुए महेश वसावा ने कहा, जल्द तस्वीर साफ हो जाएगी। चुनावों में प्रत्येक पार्टी दो उम्मीदवारों, मुख्य उम्मीदवार और डमी उम्मीदवार को मैदान में उतारती है, उसी तरह बीटीपी में भी दो उम्मीदवार उम्मीदवारी दाखिल करेंगे। महेश वसावा ने झगड़िया से बीटीपी के आधिकारिक उम्मीदवार के रूप में शुक्रवार को अपना नामांकन दाखिल कर दिया था। उम्मीदवार के रूप में जब उन्होंने अपना पर्चा जमा किया तो कोई जुलूस रैली, सभा या समर्थक नहीं थे। उनकी उम्मीदवारी का पार्टी सदस्य ईश्वर वसावा ने समर्थन किया था।

बाप-बेटे में ऐसे शुरू हुए मतभेद
छोटू वसावा 1990 से झगड़िया निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा के लिए चुने जा रहे हैं, जबकि उनके बेटे महेश डेडियापाड़ा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ते रहे हैं और निर्वाचित होते रहे हैं। छोटू वसावा को पहली बार परिवार के भीतर से चुनौती का सामना करना पड़ेगा। पिछले हफ्ते छोटू वसावा के दूसरे बेटे दिलीप वसावा ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और अन्य पदों से इस्तीफा दे दिया था।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, महेश द्वारा आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने का फैसला करने के बाद पिता और पुत्र के बीच मतभेद पैदा हो गए, और छोटू वसावा ने गठबंधन तोड़ दिया, क्योंकि उन्होंने देखा कि आप बीटीपी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को अपनी पार्टी की तरफ खींचकर बीटीपी की पीठ में छुरा घोंप रही थी। जब छोटू वसावा ने जेडीयू के साथ गठबंधन की घोषणा की, तो महेश असहमत थे। ऐसा लगता है कि या तो बीटीपी टूट जाएगा या फिर महेश वसावा पार्टी की बादशाहत संभाल लेंगे।

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