Highlights
- आदित्य ठाकरे ने कहा कि गोवा में केंद्र और राज्य में सत्ता में होने के बावजूद बीजेपी सतत विकास में विफल रही है।
- आदित्य ठाकरे ने कहा, बीजेपी के साथ दोस्ती के कारण शिवसेना ने अतीत में गोवा पर ध्यान केंद्रित नहीं किया था।
- ठाकरे ने कहा कि गोवा विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के प्रचार अभियान को लेकर अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।
पणजी: शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने शनिवार को कहा कि उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ दोस्ती के कारण पहले गोवा पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकी, लेकिन बीजेपी द्वारा पीठ में छुरा घोंपे जाने के बाद अब शिवसेना ने पंचायत स्तर से लेकर आम चुनाव तक तटीय राज्य में भविष्य के सभी चुनाव लड़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि गोवा को शिवसेना की जरूरत है क्योंकि केंद्र और राज्य में सत्ता में होने के बावजूद बीजेपी सतत विकास में विफल रही है।
एनसीपी के साथ है शिवसेना का गठबंधन
बता दें कि 2019 के महाराष्ट्र चुनाव के बाद शिवसेना बीजेपी से अलग हो गई थी और उसने वहां राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी तथा कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई। शिवसेना 14 फरवरी को होने जा रहे गोवा विधानसभा चुनाव में एनसीपी के साथ मिलकर लड़ रही है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने इस बार गोवा में 10 उम्मीदवार उतारे हैं। गोवा के दिवंगत मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला करने के बाद पार्टी ने पणजी सीट से अपने उम्मीदवार शैलेंद्र वेलिंगकर को वापस ले लिया है।
‘बीजेपी ने शिवसेना की पीठ में छुरा घोंपा’
बीजेपीके टिकट देने से इनकार करने के बाद उत्पल पर्रिकर ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया। ठाकरे ने कहा, ‘भारतीय जनता पार्टी के साथ दोस्ती के कारण शिवसेना ने अतीत में गोवा पर ध्यान केंद्रित नहीं किया था। लेकिन राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए, जिसमें बीजेपी ने शिवसेना की पीठ में छुरा घोंपा, हमने गोवा में भविष्य के सभी चुनाव लड़ने का फैसला किया है। हम यहां से पंचायत, विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, गोवा को शिवसेना की जरूरत है।’
‘शिवसेना को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है’
आदित्य ने कहा कि गोवा विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के प्रचार अभियान को लेकर अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। ठाकरे ने कहा, ‘पानी और बिजली की आपूर्ति जैसी समस्याएं अभी भी लोगों के सामने आ रही हैं। अगर ऐसा है, तो हम यह समझने में विफल रहते हैं कि राज्य ने प्रगति की है या नेताओं ने प्रगति की है।’ उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि उसका प्रचार अभियान समाज में विभाजन पैदा करने, नफरत फैलाने पर केंद्रित रहा है और उसके नेताओं ने अप्रासंगिक मुद्दों पर बात की जिसके कारण वास्तविक मुद्दों पर आवश्यक ध्यान नहीं दिया गया।