BMC Election: आगामी बीएमसी चुनाव को लेकर बीजेपी ने स्पष्ट कर दिया है कि राज ठाकरे के साथ उनका कोई गठबंधन नहीं होगा। मीडिया से चर्चा में महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने यह स्पष्ट किया कि एमएनएस के साथ गठबंधन नहीं होगा। इसकी सूचना बीजेपी के तमाम नेताओं को दे दी गई है।
दरअसल, राज ठाकरे के हिंदुत्व की राह पर चलने और पार्टी का झंडा बदलने के बाद से ही लगातार कयास लगाए जा रहे थे कि राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस और बीजेपी में आगामी बीएमसी चुनाव के लिए गठबंधन हो सकता है। पिछले कुछ महीनों में राज ठाकरे और बीजेपी के शीर्ष नेताओं की बैठक भी कई बार हुई। कभी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल राज ठाकरे से नासिक में मिले तो कभी उनके घर पर मुंबई में।
मेल-मुलाकातों का दौर चलता रहा
देवेंद्र फडणवीस, आशीष शेलार सहित अन्य बीजेपी के बड़े नेता भी पिछले कुछ महीनों में लगातार राज ठाकरे से मिलते रहे हैं। राज ठाकरे और बीजेपी नेताओं की हर मुलाकात के बाद एक ही चर्चा जोर पकड़ रही थी क्या यह दोनों दल अब हिंदुत्व की डोर थामे साथ आएंगे। क्या बीएमसी चुनाव में शिवसेना को मात देने के लिए बीजेपी एमएनएस से हाथ मिलाएगी! ऐसे कई सवाल पिछले कई महीनों से महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय थे, लेकिन अब अधिकारिक तौर पर बीजेपी की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि आगामी बीएमसी चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस से गठबंधन नहीं होगा और इस बारे में बीजेपी के तमाम नेताओं को भी सूचना दे दी गई है।
बीजेपी अकेले लड़ेगी बीएमसी का चुनाव
पत्रकारों से बात करते हुए चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि राज ठाकरे की पार्टी के साथ हमारा बीएमसी चुनाव में गठबंधन होने वाला नहीं है। इस बारे में मैंने, देवेंद्र फडणवीस, आशीष शेलार ने पहले भी कहा है फिर एक बार हमें दोहराते हैं कि हम बीएमसी चुनाव अकेले लड़ेंगे। पाटिल ने आगे कहा कि हमने ही नहीं, राज ठाकरे ने भी अपने नेताओं से कह दिया है कि वह बीजेपी के साथ गठबंधन होने के चक्कर में ना पड़ें और अकेले लड़ने की तैयारी करें।
शिवसेना के बाद बीजेपी को थी नए साथी की तलाश
MNS और बीजेपी के बीच गठबंधन की संभावनाओं ने इसलिए भी जोर पकड़ा था, क्योंकि शिवसेना से अलग होने के बाद बीजेपी को एक ऐसे साथी की तलाश थी जो शिवसेना के परंपरागत मराठी वोट बैंक में सेंध लगा सके। हाल के वर्षों में राज ठाकरे की पार्टी को भले ही चुनावों में सफलता ना मिल रही हो, लेकिन अब भी उनका करिश्मा बरकरार है और वह मराठी मतदाताओं में बहुत ही लोकप्रिय है। 2019 विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद राज ठाकरे ने रणनीति बदलते हुए हिंदुत्व की राह पकड़ी और अब MNS राज ठाकरे को प्रखर हिंदुत्ववादी नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करने की कोशिश कर रहे हैं।
राज की उत्तर भारतीय विरोधी छवि बनी बाधा
राज ठाकरे द्वारा हिंदुत्व का झंडा बुलंद करने के बाद से ही बीजेपी और एमएनएस के साथ आने की चर्चाओं ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया था। लेकिन राज ठाकरे की एंटी उत्तर भारतीय छवि बीजेपी के रास नहीं आ रही थी। बीजेपी ने कई बार राज ठाकरे से कहा कि अगर वह उत्तर भारतीय विरोधी छवि को बदलते हैं तो गठबंधन के बारे में विचार किया जा सकता है लेकिन पिछले कुछ महीनों में राज ठाकरे ने अपनी इस छवि बदलने को लेकर कोई बड़े कदम नहीं उठाए। इसीलिए बीजेपी ने काफी समय तक इंतजार किया कि राज ठाकरे शायद अपनी छवि बदलने का प्रयास करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
मुंबई में 2017 में बीजेपी का मेयर बन सकता था: चंद्रकांत पाटिल
पहली बार बीजेपी ने यह भी कहा कि साल 2017 में हमारे 82 पार्षद तो शिवसेना के 84 पार्षद थे। हम चाहते तो बीएमसी में बीजेपी का मेयर हम बना सकते थे, लेकिन अमित शाह के कहने पर उन्होंने मेयर पद शिवसेना को दे दिया। पाटिल ने यह भी ऐलान किया इस बार के चुनाव में बीजेपी को सत्ता में लाने को लेकर रणनीति बनाने पर काम शुरू हो गया है। कुछ दिन पहले ही देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं की एक अहम बैठक की और चुनाव रणनीति पर चर्चा कर सभी को जिम्मेदारी सौंपी।