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गाजियाबाद सदर में बीजेपी Vs बीजेपी? अतुल गर्ग के खिलाफ बागी केके शुक्ला ने ठोकी ताल

2017 के विधानसभा चुनाव में सदर विधानसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार अतुल गर्ग ने बीएसपी के प्रत्याशी सुरेश बंसल को शिक्कत दी थी।

Reported by: Sanjay Sah @sanjaysah_india
Published : January 19, 2022 22:40 IST
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Image Source : INDIA TV गाजियाबाद सदर विधानसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी अतुल गर्ग (बाएं) के खिलाफ बीएसपी के केके शुक्ला (दाएं) ताल ठोक रहे हैं।

Highlights

  • भारतीय जनता पार्टी के एक 30 साल पुराने नेता अब पार्टी के उम्मीदवार के सामने चुनाव मैदान में हैं।
  • बीजेपी के बागी नेता केके शुक्ला को बहुजन समाज पार्टी ने टिकट दिया है।
  • विधायक अतुल गर्ग ने कहा है कि शुक्ला के पार्टी से जाने का मुझे दुख है क्योंकि वह मेरे भाई है।

गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद सदर विधानसभा सीट पर चुनाव अब रोचक हो गया है। भारतीय जनता पार्टी के एक 30 साल पुराने नेता अब पार्टी के उम्मीदवार और वर्तमान विधायक के सामने चुनाव मैदान में है। बीजेपी के बागी नेता केके शुक्ला को बहुजन समाज पार्टी ने टिकट दिया है, जिसके बाद विधायक  अतुल गर्ग ने कहा है कि शुक्ला के पार्टी से जाने का मुझे दुख है क्यंकि वह मेरे भाई है। उन्होंने दावा किया कि अब जीत एकतरफा हो चुकी है। हालांकि पार्टी का कार्यकर्ता अब असमंजस में है क्योंकि उनके लिए चुनाव ‘बीजेपी’ बनाम ‘बीजेपी’ हो गया है जिसमें गर्ग का पलड़ा भारी है।

2017 में हुई थी अतुल गर्ग की जीत

2017 के विधानसभा चुनाव में सदर विधानसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार अतुल गर्ग ने बीएसपी के प्रत्याशी सुरेश बंसल को शिक्कत दी थी। हालांकि 2022 के चुनाव में किस्मत आजमाने के लिए बीजेपी के कई स्थानीय बड़े चेहरे दावेदारी कर रहे थे जिनमें क्षेत्रीय मंत्री मयंक गोयल और क्षेत्रीय उपाध्यक्ष केके शुक्ला शामिल थे। लेकिन आखिरकार पार्टी ने वर्तमान विधायक अतुल गर्ग में विश्वास दिखाया और उन्हें दूसरी बार मैदान में उतारने का फैसला किया। पार्टी का यह फैसला कई दावेदारों को नागवार गुजरा जिनमें से एक केके शुक्ला भी हैं।

शुक्ला को बीएसपी ने दिया टिकट
टिकट घोषित होने के बाद केके शुक्ला ने अतुल गर्ग के खिलाफ निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी शुरू कर दी। शुक्ला ने 2007 में गोंडा से विधानसभा का चुनाव लड़ा, 2010 में गोंडा में हुए उपचुनाव में भी पार्टी ने प्रत्याशी बनाया। उसके बाद पश्चमी उत्तर प्रदेश में यूथ का अध्यक्ष भी रहे और फिलहाल क्षेत्रीय उपाध्यक्ष के पद पर रहते हुए अपनी दावेदारी पेश की थी। बसपा ने 2022 चुनाव में एक बार फिर सुरेश बंसल को ही उम्मीदवार बनाया था लेकिन बीमार चल रहे बंसल ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया, जिसके बाद शुक्ला ने दावेदारी पेश कर दी और बीएसपी ने टिकट भी दे दिया।

सीट पर दलित वोटर्स की संख्या निर्णायक
करीब 4.80 लाख मतदाताओं की गाजियाबाद सदर सीट पर दलित वोटर्स की संख्या निर्णायक है। शुक्ला इसी क्षेत्र के निवासी हैं इसलिए कार्यकर्ताओं पर उनकी व्यक्तिगत पकड़ रही है, यही वजह है कि मामला बीजेपी बनाम बीजेपी माना जा रहा है। उनका आरोप है कि विधायक ने कुछ इलाकों में विकास नहीं करवाया, और क्षेत्र का निवासी होने के कारण लोग उन्हें ही घेरते थे। शुक्ला ने कहा कि वह चुनाव में निर्दलीय उतरने वाले थे लेकिन बीएसपी का टिकट मिलने के बाद जीत निश्चित हो गई है। वहीं, बीजेपी प्रत्याशी गर्ग का मानना है कि बंसल के चुनाव मैदान से हटने के बाद मामला एकतरफा हो गया है।

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