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अखिलेश की सरकार बनेगी तो राम मंदिर और जल्दी व बेहतर बनेगा: रामगोपाल यादव

रामगोपाल यादव ने कहा ‘‘मंदिर का निर्माण कौन रोक रहा है ? अगर अखिलेश सरकार सत्ता में आती है तो तेज गति से, ज्यादा बेहतर मंदिर का निर्माण किया जाएगा।’’ सपा नेता ने राम मंदिर के निर्माण के लिए एकत्र किए जा रहे कोष में हेराफेरी का आरोप भी लगाया।

Edited by: India TV News Desk
Published on: February 02, 2022 17:36 IST
akhilesh yadav- India TV Hindi
Image Source : PTI (FILE PHOTO) अखिलेश की सरकार बनेगी तो राम मंदिर और जल्दी व बेहतर बनेगा : रामगोपाल यादव

नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने बुधवार को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बारे में अपनी पार्टी के रुख के संबंध में गृह मंत्री अमित शाह के कथित बयानों को सिरे से खारिज करते हुए दावा किया कि अगर अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनते हैं तो अयोध्या में ज्यादा बेहतर मंदिर का निर्माण होगा और जल्दी होगा। उच्च सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हो रही चर्चा में हिस्सा लेते हुए यादव ने कहा कि उनकी पार्टी भगवान राम के जन्मस्थान पर भव्य मंदिर के निर्माण के खिलाफ नहीं है। वह शाह के हाल ही में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान दिए गए एक कथित बयान का संदर्भ दे रहे थे।

बयान में शाह ने कहा था कि अखिलेश यादव अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण रोक नहीं पाएंगे। रामगोपाल यादव ने कहा ‘‘मंदिर का निर्माण कौन रोक रहा है ? अगर अखिलेश सरकार सत्ता में आती है तो तेज गति से, ज्यादा बेहतर मंदिर का निर्माण किया जाएगा।’’ सपा नेता ने राम मंदिर के निर्माण के लिए एकत्र किए जा रहे कोष में हेराफेरी का आरोप भी लगाया। उन्होंने दावा किया कि नीतियों के बारे में बात नहीं की जा रही है बल्कि अखिलेश यादव के खिलाफ असंसदीय भाषा का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने सवाल किया ‘‘अगर आप अखिलेश के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का उपयोग करेंगे, उन्हें गुंडा कहेंगे तो क्या आपको वोट मिलेंगे ?’’

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया जारी है। यादव ने राष्ट्रपति के अभिभाषण को विरोधाभासों से भरा हुआ करार दिया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर विभाजनकारी नीतियों को अपनाने का आरोप लगाते हुए पूछा ‘‘क्या सरकार अतीत से कोई सबक नहीं लेती? ऐसी ही विभाजनकारी नीतियों के चलते एक बार देश का विभाजन हो चुका है।’’ यादव ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर विभाजनकारी नीतियां अपनाई जा रही हैं और चुनाव जीतने के लिए वहां दंगे का माहौल बनाया जा रहा है।

यादव ने कहा कि संसदीय परंपरा और मान्यताओं का पालन करते हुए वह राष्ट्रपति के अभिभाषण का समर्थन कर रहे हैं लेकिन ऐसा करने का उनका मन नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि पूरा अभिभाषण विरोधाभासों से भरा पड़ा है। एक पक्ष के बारे में कहा गया है और उसके दूसरे पक्ष को बिल्कुल नजरअंदाज कर दिया गया है।’’ उन्होंने कहा कि इसमें सिर्फ ‘‘वाहवाही’’ है और जमीनी सच्चाई से मुंह मोड़ने की कोशिश की गई है। सपा नेता ने जाति आधारित जनगणना का उल्लेख करते हुए कहा कि इसे लेकर बिहार के मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और अखिलेश यादव ने भी पत्र लिखे लेकिन सरकार ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया।

उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या दिक्कत है?’’ यादव ने कहा ‘‘ सरकार सिर्फ सामाजिक समानता की बात करती है जबकि असलियत यह है सबसे अधिक उत्पीड़न समाज के निचले और पिछड़े तबकों का हो रहा है और उनका हक मारा जा रहा है। विभिन्न सरकारी नौकरियों पर पिछड़े लोगों की बहाली नहीं हो रही है। भाजपा के नेता अक्सर बताते हैं कि केंद्र सरकार में पिछड़ों का प्रतिनिधित्व बढ़ा है लेकिन सच्चाई यह है, कि इन मंत्रियों को मुंह खोलने की इजाजत नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पिछड़ों के अधिकारों का हनन हो रहा है तो इनमें से कौन मुंह खोलता है? इस प्रकार के प्रतिनिधित्व से समुदाय को क्या लाभ मिलता है ?’’

कोविड-19 रोधी टीकाकरण के आंकड़ों को सरकार के रिकॉर्ड के रूप में प्रस्तुत किए जाने का आरोप लगाते हुए यादव ने कहा कि भारत की आबादी 130 करोड़ है तो क्या 15-20 करोड़ की आबादी वाला इंग्लैंड 130 करोड़ लोगों का टीकाकरण करेगा? उन्होंने कहा, ‘‘रिकॉर्ड की बात क्यों कर रहे हैं? भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है। स्वाभाविक है कि सबसे ज्यादा टीकाकरण हम ही करेंगे। उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है, वहां सबसे अधिक टीकाकरण होगा। इजराइल ने तो एक साल पहले 100 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण कर लिया। यह रिकॉर्ड है। आप अभी तक नहीं बना पाए यह रिकॉर्ड। आपने कितने प्रतिशत लोगों को टीकाकरण किया और उसमें कौन सा रिकॉर्ड बन गया? देश की जनता को मूर्ख मत समझिए, वह सब जानती है।’’

उन्होंने टीकों की एहतियाती खुराक दिए जाने पर भी सवाल उठाए और कहा कि सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने संसदीय समिति की एक बैठक में कहा है कि इसकी आवश्यकता नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि टीका बनाने वाली कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए एहतियाती खुराक दिए जाने का फैसला किया गया है।

(इनपुट- एजेंसी)

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