नई दिल्ली। पूर्व टीएमसी नेता दिनेश त्रिवेदी ने शनिवार को बीजेपी का दामन थाम लिया। बीजेपी में शामिल होने के बाद दिनेश त्रिवेदी ने इंडिया टीवी से टीएमसी छोड़ने की वजह को लेकर खुलकर बातचीत की। दिनेश त्रिवेदी ने इंडिया टीवी से विशेष बातचीत में बताया कि टीएमसी में हिंसा, कटमनी का कल्चर है जिससे मैंने टीएमसी छोड़ दिया है।
दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि मुद्दे के बजाय मुझे कहते थे कि मोदी, शाह को गालियां दो जो मैं नहीं कर सकता था। हमारे सोशल मीडिया का पासवर्ड ले लिया गया था और हमारे नाम पर बयान देते थे। बंगाल के पुलिस अधिकारियों ने मुझे आज बधाई संदेश दिया है, प्रशासन में भी घुटन है। टीएमसी के तकरीबन सारे नेता घुटन में हैं, टीएमसी के कई नेताओं ने फोन कर मुझे बधाई दी है। टीएमसी अब ममता के कंट्रोल में नहीं है।
टीएमसी का कंट्रोल अब मैनेजमेंट करने वालों के पास है। गरीब की पार्टी चार सौ पांच सौ करोड़ रूपए मैनेजमेंट करने वाले को क्यों, कटमनी-हिंसा आदि ममता सरकार में बढ़ रही है। ये लोग तब नहीं थे जब संघर्ष हुआ, उसके बाद आकर राज कर रहे। टीएमसी के कई नेता छोड़ने की फिराक में हैं। टीएमसी बैठकों में बोलने की आजादी नहीं है। इंदिरा गांधी को भी जनता ने हराया तो ममता बनर्जी क्यों नहीं हार सकती हैं।
तुष्टिकरण की पॉलिटिक्स करती हैं और करने को कहती हैं। रामकृष्ण परमहंस का बंगाल, फिर जयश्री राम से ऐतराज क्यों? ममता बनर्जी खुद बाहरी क्योंकि वो बंगाल के कल्चर का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं। बंगाल भद्रलोक जिसमें गाली और हिंसा का कल्चर नहीं जबकि टीएमसी का कल्चर गाली और हिंसा है। पीएम का नाम पूरी दुनिया में है। पार्टी जो कहेगी, वो करूंगा।
शनिवार को तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद दिनेश त्रिवेदी ने भाजपा में शामिल होने के बाद कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिद्धांतों का परित्याग कर दिया है। त्रिवेदी ने कहा कि बनर्जी की सरकार में राज्य के लोग “हिंसा और भ्रष्टाचार” से तंग आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि पहले वह जिस पार्टी में थे, वहां एक परिवार की “सेवा” की जाती थी और अब वह ऐसी पार्टी में हैं जहां लोगों की सेवा की जाती है।
त्रिवेदी ने पश्चिम बंगाल में हिंसा का हवाला देते हुए कुछ दिन पहले राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और दावा किया था कि तृणमूल कांग्रेस में उनकी आवाज दबाई जाती है। त्रिवेदी ने कहा कि वह इस “स्वर्णिम अवसर” के इंतजार में थे। उन्होंने कहा कि कुछ पार्टियों में परिवार सबसे ऊपर होता है लेकिन भाजपा में लोग सर्वोपरि हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने देशहित को प्राथमिकता नहीं दी होती तो वह इतना आगे नहीं बढ़ती।
त्रिवेदी ने कहा, “राजनीति खेला नहीं है। यह गंभीर काम है। लेकिन ममता बनर्जी ने खेल खेलते हुए अपने सिद्धांतों का परित्याग कर दिया।” उन्होंने कहा, “राज्य के लोग हिंसा और भ्रष्टाचार से तंग आ चुके हैं और खुश हैं कि अब असली परिवर्तन होने वाला है।” त्रिवेदी (70) एक समय में ममता बनर्जी के विश्वस्त सहयोगी माने जाते थे और वह संप्रग सरकार में रेल मंत्री भी थे।