गोसाबा/खरदाहा (प. बंगाल): तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने शनिवार को दावा किया कि कांग्रेस और लेफ्ट के लिए मतदान करना नोटा का बटन दबाने जैसा है। उन्होंने 30 अक्टूबर को पश्चिम बंगाल की चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर यहां रैलियों को संबोधित करते हुए राज्य की 4 विधानसभा सीटों में से 2 पर ‘उपचुनाव थोपने’ के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की आलोचना की। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों की मौत के बाद गोसाबा और खरदाहा में उपचुनाव जरूरी था, लेकिन जिन परिस्थितियों में शांतिपुर और दिनहाटा में चुनाव हो रहे हैं, वे अलग हैं।
बनर्जी ने दावा किया, ‘बीजेपी के जीते हुए उम्मीदवारों जगन्नाथ सरकार (शांतिपुर) और निसिथ प्रमाणिक (दिनहाटा) ने लोगों द्वारा चुने जाने के बाद भी विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने लोगों के फैसले का अपमान किया। बीजेपी उन 2 सीटों पर फिर से वोट मांग रही है। उन्हें लोगों द्वारा खारिज कर दिया जाएगा।’ तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने यह भी दावा किया कि उनकी पार्टी उपचुनावों में ‘4-0 से जीत’ दर्ज करेगी। उन्होंने खरदाहा में प्रचार के दौरान कहा, ‘पूरा देश इन चार निर्वाचन क्षेत्रों में उपचुनाव के नतीजों का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। देश के लोग ममता बनर्जी जैसा नेता चाहते हैं। इसलिए उन्होंने 'देश की नेत्री कैसी हो, ममता दीदी जैसी हो' जैसे नारे लगाए।’
कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि दोनों दलों ने तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी को चुनाव जीतने से रोकने के उद्देश्य से गठबंधन किया था। उन्होंने कहा, ‘पिछले 7 वर्षों में, कांग्रेस पूरे देश में बीजेपी से केवल हारी है, जबकि ममता बनर्जी ने सांप्रदायिक और अलोकतांत्रिक बीजेपी द्वारा पेश की गई सभी चुनौतियों को विफल कर दिया है। वाम दलों और कांग्रेस ने ISF के साथ भी गठबंधन किया था, लेकिन बंगाल के मतदाताओं ने ममता बनर्जी को चुना। उनके लिए मतदान नोटा बटन दबाने के समान है।’
अभिषेक बनर्जी ने कहा कि बीजेपी बांग्लादेश में हाल में हुई सांप्रदायिक हिंसा का राजनीतिक लाभ हासिल करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘बीजेपी की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष (सुकांत मजूमदार) ने कहा है कि बांग्लादेश में हुई हिंसा के कारण उनकी पार्टी शांतिपुर में उपचुनाव जीतेगी। आप (मजूमदार) बांग्लादेश में सांप्रदायिक हिंसा से राजनीतिक लाभ हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं जहां हिंदुओं पर अत्याचार किया गया है।’
अभिषेक बनर्जी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख कश्मीर से कन्याकुमारी तक निर्विवाद नेता के रूप में उभर रही हैं, जो अगले आम चुनाव में मोदी-शाह (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह) के शासन से लड़ने और उसे हराने के लिए आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी पूरे देश में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है। इसने शीर्ष चार से पांच राष्ट्रीय दलों में अपनी जगह बनाई है। हम अब से कुछ महीनों में गोवा में विधानसभा चुनाव जीतेंगे। हम 2023 में त्रिपुरा में बिप्लब देब सरकार को हटा देंगे।’
त्रिपुरा में बिप्लब देब सरकार को उनकी पार्टी के सदस्यों पर हमले के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए, बनर्जी ने कहा कि राज्यसभा सदस्य सुष्मिता देव पर शुक्रवार को बीजेपी द्वारा ‘राज्य में हमला’ किया गया था। उन्होंने कहा, ‘क्या लोकतंत्र में ऐसा होना चाहिए? हम उनके आगे नहीं झुकेंगे। हम ममता बनर्जी की तस्वीर लेकर त्रिपुरा से बीजेपी को खदेड़ देंगे।’ बनर्जी ने दावा किया कि बीजेपी केंद्रीय एजेंसियों की मदद से उनके खिलाफ आवाज उठाने वाले किसी भी व्यक्ति को ‘परेशान’ करती है, लेकिन ‘वह तृणमूल कांग्रेस को चुप नहीं करा सकती है।’
बनर्जी ने कहा, ‘मुझे कई बार बुलाया गया, 9 घंटे तक पूछताछ की गई। आप मुझसे घंटों तक पूछताछ कर सकते हैं, लेकिन यह मुझे आपके खिलाफ बोलने से नहीं रोक पाएगा। अगर आप मेरा गला काटते हैं, तो भी मैं ‘जय हिंद’, ‘जय बांग्ला’ चिल्लाऊंगा। सच्चाई मेरी तरफ है।’ केन्द्रीय गृह मंत्री शाह पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कुछ महीने पहले विधानसभा चुनाव के लिए अपने प्रचार अभियान के दौरान सुंदरबन के विकास के लिए 2 लाख करोड़ रुपये देने और एक अलग जिला बनाने का वादा किया था। वे अभी भी दिल्ली में सत्ता पर काबिज हैं, लेकिन आपने उनसे किसी भी आगे की पहल के बारे में नहीं सुना होगा।’
डायमंड हार्बर से सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसके विपरीत ‘अपने वादों को निभाया और लक्ष्मी भंडार जैसी योजनाओं को शुरू किया।’ कोविड-19 रोधी टीके की 100 करोड़ खुराक लगाये जाने संबंधी उपलब्धि को लेकर केंद्र पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ ‘दोहरे शतक लगाए’ हैं।