लखनऊ। उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 2021 की आरक्षण व्यवस्था के तहत चुनाव कराने पर रोक लगा दी है और 2015 की व्यवस्था के तहत चुनाव कराने को कहा है। कोर्ट ने अगले 10 दिन के अंदर उत्तर प्रदेश सरकार को इस पर अपना जवाब दाखिल करने को भी कहा है।
हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार खुद वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए तैयार है। उत्तर प्रदेश सरकार के इस बयान पर जज ने 25 मई तक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न कराने के आदेश पारित किए हैं।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में 11 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया है कि पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू किये जाने सम्बंधी नियमावली के नियम 4 के तहत जिला पंचायत, ग्राम पंचायत की सीटों पर आरक्षण लागू किया जाता है। कहा गया कि आरक्षण लागू किये जाने के सम्बंध में वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानते हुए 1995, 2000, 2005 व 2010 के चुनाव सम्पन्न कराए गए।
आपको बता दें कि यूपी सरकार के महाधिवक्ता ने अदालत में स्वीकार किया कि सरकार से आरक्षण रोटेशन में गलती हुई है। उत्तर प्रदेश सरका ने 1995 को आरक्षण रोटेशन को बेस ईयर मानकर गलती की है, जिसके बाद अब सरकार ने नए आरक्षण रोटेशन के लिए अदालत से समय मांगा है। अदालत ने इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सरकार को 10 दिन का समय और दिया है यानि अब सरकार को 15 मई की जगह 25 मई तक पंचायत चुनाव पूरे करने के निर्देश दिए हैं।