नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के बारे में कहा जाता है कि जिसने इसके पूर्वांचल में जीत हासिल कर ली, समझो उसी की सरकार लखनऊ में बन गई। इसलिए भाजपा ने पूर्वांचल को साधने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है और अब पूर्वांचल के मतदाताओं को साधने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह एक बार फिर से पूर्वांचल के दौरे पर जा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 12 और 13 नवंबर को पूर्वांचल के दौरे पर जा सकते हैं। अमित शाह के इस बार के पूर्वांचल दौरे का उद्देश्य पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर चुनावी तैयारियों का जायजा तो लेना ही है, लेकिन इस बार उनका सबसे बड़ा मकसद उत्तर प्रदेश में फिर से मुख्यमंत्री बनने का दावा करने वाले सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को उनके ही गढ़ आजमगढ़ में घेरना भी है। बताया जा रहा है कि अमित शाह अपने पूर्वांचल दौरे के दूसरे दिन, 13 नवंबर को सपा सुप्रीमो के गढ़ में बड़ी रैली कर अखिलेश यादव को उनके ही संसदीय क्षेत्र में घेरना चाहते हैं।
अमित शाह के दौरे को लेकर पार्टी के एक नेता ने बताया कि शाह 12 और 13 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर संगठन के नेताओं के साथ कई दौर की बैठकें करेंगे। उन्होंने बताया कि 13 नवंबर को दोपहर के बाद शाह अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र में रैली करने के लिए आजमगढ़ रवाना हो जाएंगे। अमित शाह, वाराणसी और आजमगढ़ से मिशन पूर्वांचल की कमान संभालेंगे तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं भी इसी महीने पूर्वाचल के सुल्तानपुर दौरे पर जा सकते हैं। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण करने इसी महीने सुल्तानपुर के दौरे पर जा सकते हैं।
बता दें कि पूर्वाचल के 28 जिलों के लिए पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे एक बड़ा मुद्दा है। 6 लेन के इस हाईवे को आने वाले दिनों में इन तमाम जिलों के विकास के लिए एक बड़ा वरदान माना जा रहा है। वहीं इस हाईवे पर कूरेभार के पास अरवल कीरी करवत में बने एयर स्ट्रिप को सामरिक दृष्टि से काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि लड़ाई की स्थिति में इस एयर स्ट्रिप से वायुसेना के विमान दुश्मन देशों के खिलाफ उड़ान भर सकेंगे। बताया जा रहा है कि इसी पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 नवंबर को सुल्तानपुर जा सकते हैं। हालांकि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम और सुल्तानपुर दौरे की तारीख की आधिकारिक घोषणा अभी होना बाकी है।
जिस तरह से राष्ट्रीय स्तर पर यह कहा जाता है कि दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश से निकलता है, उसी तरह उत्तर प्रदेश के बारे में भी कहा जाता है कि लखनऊ की गद्दी पर वही राज करता है, जिसे पूर्वांचल की जनता अपना आशीर्वाद देती है। पूर्वांचल से ही साल 2007 में सबसे ज्यादा सीटें जीतकर मायावती ने प्रदेश में सरकार बनाई थी, 2012 में यहां की जनता ने अखिलेश का साथ दिया था, जबकि 2017 में पूर्वांचल के मतदाताओं ने प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा को जिताया था।