लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 11 सीटों पर हो रहे विधानसभा उपचुनाव में विपक्ष दल कुछ सीटों के परिणाम में उलटफेर होने उम्मीद लागाए हुए है। इन 11 सीटों में से 9 सीटें पहले से भारतीय जनता पार्टी के पास थीं। वही, रामपुर और जलालपुर की सीटों पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का कब्जा था। रामपुर सपा के लिए 'नाक की सीट है' और इसके लिए अखिलेश यादव भी जोर लगाए हुए हैं। इसके अलावा इगलाश, घोसी और गंगोह पर विपक्षी दल अपना दावा कर रहे हैं।
एक लाख वोटों के अंतर से जीते थे आजम
मुकदमों में घिरे आजम के क्षेत्र रामपुर की सीट उनके दबदबे वाली रही है। इस सीट पर लहर के बावजूद 2017 के चुनाव में आजम को 1 लाख से ज्यादा वोटों से जीत मिली थी। जो भाजपा और बसपा से कहीं ज्यादा थे। इस बार यहां से सपा ने उनकी पत्नी तंजीन फातमा को चुनाव मैदान में उतारा है। बसपा ने मुस्लिम दलितों के गठजोड़ पर भरोसा करते हुए मसूद खान को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने भी मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर अपने वोट बैंक को सहेजने का प्रयास किया है। वहीं, बीजेपी ने भी भारत भूषण गुप्ता के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है।
बीएसपी को उम्मीद, चौंकाने वाले होंगे परिणाम
बसपा का गढ़ कहे जाने वाली जलालपुर सीट पर इस बार विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा की पुत्री छाया वर्मा को चुनाव मैदान पर उतारा है। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष मुनकाद अली ने कहा, ‘इस बार उपचुनाव के परिणाम निश्चित तौर पर चौंकाने वाले होंगे। हमें उम्मीद है कि इस बार हम पूरी सीटें जीतकर इतिहास रच देंगे। बसपा ही लोगों की पहली पसंद बनेगी। इगलाश सीट पर आरएलडी और सपा का कोई प्रत्याशी न होने का फायद हमें मिल रहा है। उनके समाज के लोग भी हमें समर्थन दे रहे हैं।’
गंगोह से इमरान मसूद के भाई मैदान में
उधर, कांग्रेस साहरनपुर की गंगोह सीट में लोकसभा प्रत्याशी रहे इमरान मसूद के भाई को चुनाव में उतारकर बाजी पलटने की फिराक में हैं। बीजेपी ने यहां पर नए चेहरे कीरत सिंह को मैदान में उतारा है। सपा प्रत्याशी इंद्रसेन चुनाव जीतने का दावा कर रहे हैं। बीजेपी के फागू चौहान के राज्यपाल बनने से खाली हुई मऊ की घोसी सीट पर बसपा ने मुस्लिम और दलितों का समीकरण फिट करने का प्रयास किया है और सपा के सिंबल न मिल पाने का फायदा उठाने के प्रयास में है। वहीं, सपा ने भी इस सीट पर पूरी ताकत झोंक रखी है। साइकिल चुनाव निशान न मिल पाने की सहानुभूति बटोरने में लगी है।
‘कुछ सीटों पर बन रही है विपक्ष की संभावना’
राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल का कहना है कि इस बार ऐसा विपक्षी दलों ने अपने चुनाव प्रचार को उतनी गंभीरता से आगे नहीं बढ़ाया है। इस कारण इनका प्रचार उतना जोर नहीं पकड़ पाया है। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि पार्टी और प्रचार कमजोर होने के बावजूद प्रत्याशी मजबूत होने पर कम अंतर से भी चुनाव जीत सकता है। इगलाश, जलालपुर, रामपुर, घोसी और गंगोह में ऐसी संभावना बन सकती है। उन्होंने कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि जिन्हें बीजेपी मजबूत सीट समझ रही हो, वहां पर उन्हें मुश्किल हो सकती है, क्योंकि कई जगह पार्टी के प्रत्याशी कमजोर दिख रहे हैं।
‘उपचुनाव में लोकल मुद्दे होंगे हावी’
लाल ने कहा, ‘उपचुनाव में स्थानीय मुद्दे बहुत हावी होते हैं। उपचुनाव में कोई एक तरह की हवा नहीं चलती है। आमचुनाव के मुद्दे राष्ट्रीय होते हैं। इसमें प्रचार और प्रत्याशी का अपना व्यक्ति चुनाव को एक शेप देता है। लेकिन उपचुनाव में ऐसा नहीं होता है। भाजपा लोकल मुद्दे के बजाय राष्ट्रवाद और पकिस्तान पर जो दे रही है। विपक्ष को उन सीटों पर उम्मीद होनी चाहिए। जहां उनका प्रत्याशी मजबूती हो और उनके प्रचार में लोकल मुद्दे को प्रमुखता दी गई हो, क्योंकि उपचुनाव में कोई सरकार बनाने के लिए वोट नहीं करता है।’