फगवाड़ा: अजब-गजब हरकतों के लिए जाने जाने वाले नीटू शटरांवाला को भले ही अपने परिवार में नौ मतदाता होने के बावजूद लोकसभा चुनाव में कुल पांच वोट ही मिले, लेकिन वह इससे विचलित नहीं हैं और अब वह फगवाड़ा (सुरक्षित) विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में मैदान में हैं। पंजाब में चार विधानसभा सीटों के लिए 21 अक्टूबर को उपचुनाव होगा और नीटू फगवाड़ा (सुरक्षित) सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। फगवाड़ा के अलावा दाखा, मुकेरियां और जलालाबाद सीटों पर भी उपचुनाव हो रहा है।
लोकसभा चुनाव के दौरान अपने परिवार में नौ मतदाता होने के बावजूद पांच वोट ही मिलने पर नीटू का फूट-फूटकर रोने का वीडियो वायरल हो गया था। अपने निजी सुरक्षाकर्मी के साथ मोटरसाइकिल पर चलने वाले नीटू मीडिया से मुखातिब होने पर अपना प्रचार कौशल दिखाते हैं। नीटू (36) अपनी मोटरसाइकिल से उतरे, पालथी मारकर नीचे बैठ गए और फिर सड़क पर लेट गए। उनकी इस तरह की हरकत को देखकर पुलिसकर्मी और पास खड़े लोग हैरान रह गए। वह ऐसा कोई विरोध जताने के लिए नहीं, बल्कि यह दिखाने के लिए करते हैं कि निर्वाचित होने पर वह किस तरह जमीन से जुड़े रहेंगे और विनम्र बने रहेंगे।
उन्होंने एक संवाददाता से कहा, ‘‘मैं सड़क किनारे चटाई बिछा दूंगा, इस पर बैठूंगा और लोगों की शिकायतें सुनूंगा तथा समाधान करूंगा।’’ इसके बाद वह प्रयोग करके दिखाते हैं कि वह किस तरह इस काम को अंजाम देंगे। उन्होंने यह घोषणा भी की कि वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में राष्ट्रपति का चुनाव भी लड़ेंगे। नीटू ने मतदाताओं से आग्रह किया कि वे तीन परंपरागत दलों-सत्तारूढ़ कांग्रेस, भाजपा और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) को वोट न दें।
वह कहते हैं, ‘‘पंजाब को इसकी बीमारियों से निकालने के लिए चाहे आप किसी को भी वोट दें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप मुझे वोट नहीं देते तो मैं बुरा नहीं मानूंगा, लेकिन इन तीन दलों को वोट न दें।’’ नीटू ने दावा किया कि यदि वह सत्ता में आते हैं तो पंजाब की किस्मत चमका देंगे और भारत को ‘विश्व गुरु’ बना देंगे। उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर आरोप लगाया कि वह चार सप्ताह के भीतर पंजाब से मादक पदार्थों के खात्मे की अपनी शपथ से मुकरकर राज्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
नीटू ने अपनी जान को खतरा बताया और कहा कि उन्हें किसी झूठे मामले में फंसाया जा सकता है। उन्होंने हालांकि कहा कि वह न तो मौत से डरते हैं और न किसी अन्य चीज से। नीटू ने आरोप लगाया कि इन दलों ने उनकी पत्नी, मां और बहन के नामांकन क्रमश: दाखा, जलालाबाद और मुकेरियां से खारिज करा दिए। उन्होंने दावा किया, ‘‘मेरी फाइल को भी पहले अधूरी बताकर लौटा दिया गया, लेकिन जब कई वकील मेरे साथ गए तो इसे स्वीकार कर लिया गया।’’