भोपाल: मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव के लिए तीन नवंबर को मतदान कोरोना महामारी की रोकथाम के दिशा निर्देशों के साथ सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक होगा। इसके लिये सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार इतनी ज्यादा विधानसभा सीटों पर एक साथ उपचुनाव हो रहे हैं। ये उपचुनाव तय करेंगे कि 10 नवबंर को इनके परिणाम आने के बाद कौन सी पार्टी प्रदेश में सत्ता में रहेगी- सत्तारूढ़ भाजपा या मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस। इसके अलावा, इस उपचुनाव में उन 25 प्रत्याशियों के भाग्य का भी फैसला होगा जो कांग्रेस विधायकी से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने के बाद अपनी छोड़ी हुई उसी सीट से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें से अधिकांश ग्वालियर राजघराने के वंशज ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं, जो खुद भी कांग्रेस छोड़ इस साल मार्च में भाजपा में शामिल हुए हैं। इसलिए इस उपचुनाव में सिंधिया की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है।
मंगलवार को देश के 10 राज्यों की 54 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं और इनमें से आधे से अधिक सीटों पर मध्य प्रदेश में हो रहे हैं। जिन 28 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें से 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देकर भाजपा में आने से खाली हुए हैं, जबकि दो सीटें कांग्रेस के विधायकों के निधन से और एक सीट भाजपा विधायक के निधन से रिक्त है। भाजपा ने उन सभी 25 लोगों को प्रत्याशी बनाया है, जो कांग्रेस विधायकी पद से इस्तीफा देकर पार्टी में शामिल हुए हैं। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के 22 विधायकों के त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होने के कारण प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई थी, जिसके कारण कमलनाथ ने 20 मार्च को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। फिर 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार बनी। इसके बाद कांग्रेस के चार अन्य विधायक भी पार्टी छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए थे।
प्रदेश विधानसभा की कुल 230 सीटों में से वर्तमान में भाजपा के 107 विधायक हैं, जबकि काग्रेस के 87, चार निर्दलीय, दो बसपा एवं एक सपा का विधायक है। बाकी 29 सीटें रिक्त हैं, जिनमें से दमोह विधानसभा को छोड़कर 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। दमोह सीट पर उपचुनाव की तिथि घोषित होने के बाद कांग्रेस विधायक राहुल सिंह लोधी ने विधानसभा की सदस्यता एवं कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए हैं। उपचुनाव के बाद सदन में विधायकों की संख्या वर्तमान 202 से बढ़कर 229 हो जाएगी। इसलिए भाजपा को बहुमत के 115 के जादुई आंकड़े तक पहुंचने के लिए इस उपचुनाव में मात्र आठ सीटों को जीतने की जरूरत है, जबकि कांग्रेस को सभी 28 सीटें जीतनी होंगी।
प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी अरुण तोमर ने सोमवार को बताया, ‘‘प्रदेश के 19 जिलों के 28 विधानसभा क्षेत्रों में 3 नवम्बर को प्रात: 7 बजे से सायं 6 बजे तक मतदान होगा। इसके लिये सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं।’’ उन्होंने कहा कि मतदान के लिए कोविड-19 से बचाव की सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं। मतदान का अंतिम एक घंटा कोविड-19 के मरीजों तथा संदिग्ध मरीजों के लिए निर्धारित रहेगा। प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में प्रदेश के 12 मंत्रियों सहित कुल 355 उम्मीदवार मैदान में हैं। तोमर ने बताया कि 19 जिलों में उपचुनाव के तहत 33,000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। प्रदेश में स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान कराने की पूरी तैयारियां की गयी हैं। उन्होंने बताया कि 250 उड़नदस्ते, 173 निगरानी दल तथा 293 पुलिस चौकियों को सेवा में लगाया गया है।
उन्होंने बताया कि 28 विधानसभा सीटों पर कुल 63.67 मतदाता हैं। इन मतदाताओं के लिए 9,361 मतदान केन्द्र बनाए गए हैं। जबकि इनमें से 3,038 मतदान केन्द्रों को संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। भाजपा के उम्मीदवारों के पक्ष में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, भाजपा के राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेश भाजपा प्रमुख वीडी शर्मा, प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती सहित अन्य नेताओं ने चुनाव प्रचार अभियान में हिस्सा लिया। जबकि, कांग्रेस उम्मीदवारों के समर्थन में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और राजस्थान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने विभिन्न इलाकों में आमसभाएं कीं। दस नवंबर को मतों की गणना होगी।