भोपाल: मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव की मतगणना मंगलवार को होनी है, मगर दोनों प्रमुख दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस अपनी-अपनी जीत के साथ सत्ता की कमान संभालने के दावे कर रही हैं। वहीं मतदाताओं के मन मस्तिष्क में एक सवाल कौंध रहा है कि आखिर जीत किसकी हो रही है।
राज्य में 28 विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव हो रहे हैं, इनमें से 25 वह स्थान हैं जहां के तत्कालीन विधायकों ने कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा की सदस्यता ली थी, वहीं तीन स्थान विधायकों के निधन के कारण रिक्त हुए थे। दोनों ही दलों ने इन चुनावों को जीतने के लिए पूरा जोर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
मतगणना मंगलवार को होने वाली है और नतीजे से पहले जो एग्जिट पोल आए हैं, उसे दोनों ही दल पूरी तरह स्वीकारने को तैयार नहीं है। एग्जिट पोल में कांग्रेस के मुकाबले भाजपा को बढ़त दिखाई गई है। कांग्रेस की तरफ से यही कहा जा रहा है कि एग्जिट पोल से उलट जीत उसी के खाते में आने वाली है। दूसरी ओर भाजपा का दावा है कि एग्जिट पोल में जितनी सीटें भाजपा को दिखाई जा रही हैं, उससे कहीं ज्यादा सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीतेंगे।
चुनाव नतीजों को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि, "भाजपा सभी 28 क्षेत्रों में जीत हासिल करेगी और यह पार्टी के कार्यकर्ता के अथक परिश्रम से संभव होने जा रहा है । कांग्रेस तो मतगणना होने से पहले ही हार मानने लगी है, यही कारण है कि दिग्विजय सिंह ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं मगर कितनी सीटें कांग्रेस को मिल रही हैं इसका जिक्र वे नहीं करते। साथ ही उन्होंने भाजपा पर सरकारी मशीनरी और पुलिस के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मनना है कि उप-चुनाव के नतीजे अप्रत्याषित आने वाले हैं, मतदाता पूरी तरह मौन रहा, मतदान का प्रतिशत कहीं 70 से ऊपर तो कहीं 60 से नीचे रहा और इसने भी राजनीतिक पंडितों को उलझा दिया है। यही कारण है कि जनता का मूड समझना आसान नहीं है, नतीजे तो अब ईवीएम के खुलने पर ही सामने आएंगे।
इनपुट-आईएएनएस