पटना: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह ने बिहार में राजद के साथ सीटों का तालमेल नहीं होने पर कहा कि उनकी पार्टी राज्य में गठबंधन में शामिल अन्य दलों की "मोहताज" नहीं है। उनके इस बयान पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने लोकसभा चुनावों में भाजपा को हराने की कांग्रेस की प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े किए। बिहार विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस मजबूत हुई है। अगर सीट बंटवारा नहीं हुआ तो कोई समस्या नहीं होगी। हम किसी के भी "मोहताज" नहीं हैं।
सदानंद ने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश का उदाहरण दिया, जहां कांग्रेस कट्टर प्रतिद्वंद्वियों बसपा और समाजवादी पार्टी द्वारा तालमेल नहीं किए जाने पर लोकसभा चुनाव में अकेले जाने के लिए कमर कस रही है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने उत्तरप्रदेश के संदर्भ में कहा था कि पार्टी फ्रंट फुट पर खेलेगी। हम बिहार में भी इसके लिए प्रयास कर रहे हैं।
सदानंद की इस टिप्पणी पर राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि पार्टी को अपना मन बनाना चाहिए कि वह किसे उम्मीदवार बनाना चाहती है। क्या वे भाजपा को हराना चाहते हैं या उन लोगों के खिलाफ लड़ाई में शामिल हैं जो भगवा पार्टी को विफल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी के पास बिहार में सबसे बड़ा जनाधार है। कांग्रेस अपने जोखिम पर हमे कमतर आंक सकती है। इसके अलावा उसे उन मतदाताओं को भी जवाब देना होगा जो आने वाले चुनावों में भाजपा के शासन से छुटकारा चाहते हैं। इस बीच नई दिल्ली में डेरा डाले हुए एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि समस्या यह है कि हमने शुरू में बिहार में 40 में से 15 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग की थी। लेकिन राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने जोर देकर कहा कि वह हमारे लिए केवल 10 सीट ही छोड़ेंगे। हमारी पार्टी का नेतृत्व एक या दो सीटों के लिए रियायत देने के लिए सहमत हो सकता था, लेकिन हमारे लिए यह संभव नहीं है कि हम पांच सीट छोड़ दें।
उन्होंने कहा कि लालू जी काफी समय से बिहार से दूर हैं और ऐसा लगता है कि वे यहाँ की जमीनी हकीकत से वाकिफ नहीं हैं। वे यह मानकर चल रहे हैं कि यादव और मुस्लिम समुदाय कांग्रेस को वोट देने जा रहे हैं और हमारी भूमिका उच्च जाति के वोटों में कटौती करने तक सीमित रहेगी। वरिष्ठ नेता ने कहा कि अहमदाबाद में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद पार्टी आलाकमान बिहार के बारे में जानकारी लेगा। यदि हमारे सहयोगी अनुपात की भावना नहीं दिखाते हैं तो हमें चुनावों में अकेले जाना पड़ सकता है, हालांकि हम ऐसा नहीं चाहते हैं।