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जिन्ना पर अखिलेश का बयान और बीजेपी की प्रतिक्रिया पर मायावती ने कहा- हिंदू-मुस्लिम करके माहौल खराब करने की कोशिश

मायावती ने कहा कि सपा व भाजपा की राजनीति एक-दूसरे के पोषक व पूरक रही है। इन दोनों पार्टियों की सोच जातिवादी व साम्प्रदायिक होने के कारण इनका आस्तित्व एक-दूसरे पर आधारित रहा है। इसी कारण सपा जब सत्ता में होती है तो भाजपा मजबूत होती है जबकि बीएसपी जब सत्ता में रहती है तो भाजपा कमजोर।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: November 01, 2021 15:32 IST
जिन्ना पर अखिलेश का बयान और बीजेपी की प्रतिक्रिया पर मायावती ने कहा- हिंदू-मुस्लिम करके माहौल खराब क- India TV Hindi
Image Source : PTI जिन्ना पर अखिलेश का बयान और बीजेपी की प्रतिक्रिया पर मायावती ने कहा- हिंदू-मुस्लिम करके माहौल खराब करने की कोशिश

नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के प्रमुख व उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कल देश के बंटवारे के सूत्रधार जिन्ना की तुलना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, एकता के सूत्रधार सरदार पटेल और पहले प्रधानमंत्री नेहरू से की थी। इसपर बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने सपा नेता अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा मुखिया द्वारा जिन्ना को लेकर कल हरदोई में दिया गया बयान व उसे लपक कर भाजपा की प्रतिक्रिया यह इन दोनों पार्टियों की अन्दरुनी मिलीभगत व इनकी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है ताकि यहां यूपी विधानसभा आमचुनाव में माहौल को किसी भी प्रकार से हिन्दू-मुस्लिम करके खराब किया जाए। 

मायावती ने कहा कि सपा व भाजपा की राजनीति एक-दूसरे के पोषक व पूरक रही है। इन दोनों पार्टियों की सोच जातिवादी व साम्प्रदायिक होने के कारण इनका आस्तित्व एक-दूसरे पर आधारित रहा है। इसी कारण सपा जब सत्ता में होती है तो भाजपा मजबूत होती है जबकि बीएसपी जब सत्ता में रहती है तो भाजपा कमजोर।

आपको बता दें कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को हरदोई की एक जनसभा में मोहम्मद अली जिन्ना की, भारत की आजादी के लिए उनके योगदान की सराहना की थी। सपा प्रमुख ने कहा कि 'सरदार वल्लभ भाई पटेल, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और (मोहम्मद अली) जिन्ना ने एक ही संस्थान से पढ़ाई की और बैरिस्टर बने और उन्होंने आजादी दिलाई। उन्हें आजादी के लिए किसी भी तरीके से संघर्ष करना पड़ा होगा तो पीछे नहीं हटे।

अखिलेश ने राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ का नाम लिए बिना कहा था कि अगर कोई विचारधारा (आरएसएस की) है जिस पर प्रतिबंध लगाया गया था तो वह लौह पुरुष सरदार पटेल थे जिन्होंने प्रतिबंध लगाने का काम किया था। उन्होंने कहा था कि आज, जो लोग देश को एकजुट करने की बात कर रहे हैं, वे आपको और मुझे जाति और धर्म के आधार पर विभाजित कर रहे हैं।

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