आइजोल: मिजोरम के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) एस एस शशांक को हटाने की बढ़ती मांग के बीच मुख्यमंत्री ललथनहवला ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सीईओ को तुरंत पद से हटाने की मांग करते हुए कहा कि लोगों का उनके प्रति भरोसा खत्म हो चुका है। शशांक ने सोमवार को कहा कि उनका इरादा राज्य के नागरिक समाज की भावनाएं आहत करने का नहीं था और अगर किसी की भावनाएं आहत हुई हों तो उसके लिए उन्हें खेद है। राज्य के प्रधान सचिव (गृह) ललनुनमाविया चुआउंगो के पद से हटाए जाने के तुरंत बाद ही राज्य की सिविल सोसाइटी की सबसे प्रमुख इकाई एनजीओ कॉर्डिनेशन कमेटी और छात्र संगठनों ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी शशांक को राज्य से बाहर भेजने की मांग की थी। मीडिया के एक धड़े ने कहा है कि शशांक ने चुनाव आयोग से यह भी शिकायत की थी कि चुआउंगो चुनावी प्रक्रिया में दखल दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री को अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने लिखा है, ‘‘लोगों का उनके प्रति भरोसा खत्म हो चुका है, इसलिए 2018 का विधानसभा चुनाव अब सुचारू रूप से करवाने के लिए सीईओ एस बी शशांक को उनके पद से हटाया जाए।’’ पत्र की एक प्रति पीटीआई के पास उपलब्ध है । को-आर्डिनेशन कमेटी ने सोमवार तक शशांक को मिजोरम से हटाने की मांग की थी। कमेटी ने मंगलवार से सीईओ कार्यालय के बाहर अवरोध डालने और उन्हें कार्यालय जाने से रोकने का फैसला किया है। राज्य सरकार और मुख्य सचिव अरविंद रे की अध्यक्षता में बुलाई गयी बैठक में एनजीओ अधिकारियों के हिस्सा लेने के बाद यह फैसला किया गया। धमकियों के मद्देनजर शशांक के आवास और कार्यालय के बाहर अतिरिक्त सुरक्षा जवानों को तैनात किया गया है।
इससे पहले दिन में सीईओ ने कहा, ‘‘राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के रूप में यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं चुनाव आयोग के आदेशों का पालन करूं। मैं सिर्फ आशा कर सकता हूं कि सिविल सोसाइटी के लोग मेरी जिम्मेदारी को समझेंगे। अगर मैंने किसी की भावना को आहत किया हो तो उसके लिए खेद है।'' चुनाव आयोग ने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा ‘‘चुनाव आयोग मानता है कि श्री ललनुनमाविया चुआउंगो के मिजोरम सरकार में प्रधान सचिव (गृह) रहने से राज्य में सुचारू, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावी प्रक्रिया पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। ’’ चुआउंगो के साथ अपनी तकरार के बारे में सीईओ ने कहा कि उन्होंने 11 सितंबर को जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) और मतदाता पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) को अधिसूचित करने के लिए एक बयान जारी किया था कि त्रिपुरा में योग्य ब्रू प्रवासियों द्वारा वैध दस्तावेज के तौर पर पहचान स्लिप का इस्तेमाल किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, हालांकि चुआउंगो ने 13 सितंबर को एक अन्य आदेश जारी कर कहा कि ब्रू शरणार्थियों को वापसी उद्देश्यों के अलावा पहचान स्लिप के इस्तेमाल से परहेज करना चाहिए। राज्य के निवासी और गुजरात कैडर के अधिकारी चुआउंगो को उनकी जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है। चुनाव आयोग ने उन्हें दिल्ली में गृह मंत्रालय के समक्ष रिपोर्ट करने को कहा है। सीईओ पर निष्पक्ष पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के खिलाफ काम करने का आरोप लगाते हुए एनजीओ को-आर्डिनेशन कमेटी ने चुनाव आयोग से उन्हें हटाने की मांग की है।