ऐजोल। चुनाव आयोग ने मिजोरम विधानसभा चुनावों के लिए शनिवार को तारीख का ऐलान किया। इस राज्य में 28 नवंबर को मतदान होगा। राज्य में चुनाव एक ही चरण में संपन्न होगा। चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने बताया कि 11 दिसंबर को मतों की गणना की जाएगी और परिणाम घोषित किए जाएंगे। चुनाव आयोग ने अन्य चार राज्यों में भी चुनावों की तारीख का ऐलान किया है, ये राज्य हैं मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना।
सियासी लड़ाई दो धुरियों पर घूमती रही है, कांग्रेस और मिजो नेशनल फ्रंट। 1989 में बनी इस विधानसभा के पहले चुनावों में कांग्रेस को जीत मिली थी और लाल थन्हावला को मुख्यमंत्री चुना गया था। तबसे लेकर आज तक सूबे में 6 बार विधानसभा चुनाव हुए जिसमें से 4 बार कांग्रेस और 2 बार मिजो नेशनल फ्रंट को जीत हासिल हुई है। संयोग की बात यह है कि थान्हवला ही आज भी मुख्यमंत्री हैं।
40 में से 39 सीटें अनुसूचित अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 2013 के चुनावों में मिजोरम विधानसभा की 40 सीटों में से कुल 39 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित थीं, और बाकी बची एक सीट अनारक्षित थी। मिजोरम की कुल जनसंख्या में से लगभग 95 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति से ताल्लुक रखती है।
690860 मतदाता और 142 उम्मीदवार
2013 के मिजोरम विधानसभा चुनावों में कुल 690860 मतदाताओं में से 558385 वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। इस तरह 2013 में मतदान प्रतिशत 80.82 था। सूबे की 40 विधानसभा सीटों पर कुल 142 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। इनमें से 38 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
किस पार्टी को मिली थीं कितनी सीटें
इन चुनावों में कांग्रेस को 34 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि इसकी मुख्य प्रतिद्वंदी मिजो नेशनल फ्रंट को 5 सीटों से संतोष करना पड़ा था। वहीं, मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस एक सीट झटकने में कामयाब रही थी।
भाजपा को मिले सिर्फ 0.37 प्रतिशत वोट
2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 44.63, एनसीपी को 0.84, मिजो नेशनल फ्रंट को 28.65, मिजो पीपुल्स कॉन्फ्रेंस को 6.15 और जोरम नेशनलिस्ट पार्टी को 17.42 प्रतिशत वोट मिले थे। कमाल की बात है कि केंद्र में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी को यहां सिर्फ 0.37 प्रतिशत यानि कुल 2139 मतदाताओं ने वोट किया था।