नागपुर (महाराष्ट्र): केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को कहा किसी नेता को एक विचारधारा पर टिके रहना चाहिए और डूबते जहाज से कूदते चूहों की तरह पार्टी बदलने से बचना चाहिए। गडकरी ने कहा, "मुझे लगता है कि नेताओं को स्पष्ट रूप से राजनीति का अर्थ समझना चाहिए। राजनीति महज सत्ता की राजनीति नहीं है। महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, पंडित जवाहर लाल नेहरू और वीर सावरकर जैसे नेता सत्ता की राजनीति में शामिल नहीं थे।"
दिलचस्प है कि महाराष्ट्र में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल होने के लिए विपक्ष के नेता उमड़ पड़े हैं। गडकरी ने लोकमत समूह द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में 'पॉलिटिकल आइकन ऑफ विदर्भ' पुस्तक के विमोचन के दौरान यह कहा। उन्होंने कहा, "गांधीजी ने समाजकरण, राष्ट्रकरण और विकासकरण का अनुसरण किया।" उन्होंने कहा, "सिद्धांतों से समझौता मत कीजिए और धैर्य रखिए।"
गडकरी ने कहा कि मैंने मुश्किल हालात में भी पार्टी छोड़ने के बार में नहीं सोचा, लेकिन मौजूदा हालात ऐसे हैं कि लोग इस बात को ध्यान में रखकर पार्टियां बदल रहे हैं कि कौन सत्ता में है। उन्होंने कहा, "लोग उनके पीछे भागते हैं, जो सत्ता में होते हैं। आज हम सत्ता में हैं, वे (पार्टी बदलने वाले) हमारे साथ आएंगे। कल अगर किसी और को सत्ता मिलती है तो वे उनके पीछे भागेंगे। लोग बिल्कुल ऐसे पाला बदलते हैं, जैसे डूबते हुए जहाज से चूहे कूदते हैं।"
नागपुर से लोकसभा सदस्य गडकरी ने कहा, "लेकिन ये लोग इतिहास नहीं लिखेंगे। इतिहास वही लोग लिखेंगे, जो परेशानियों का सामना करने के बावजूद अपनी विचारधारा पर कायम रहे।" गडकरी ने नागपुर विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष रहे दिग्गज वामपंथी नेता एवं दिवंगत ए बी वर्धन के बारे में कहा, "एबी वर्धन के प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान है, भले ही हम दोनों अलग-अलग विचारधाराओं से हों। वह वाकई एक समर्पित नेता थे। नागपुर में किसी भी नेता की तुलना में उनका कद बहुत ऊंचा है।"