मुंबई। मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने पार्टी में बगावत का बिगुल फूंक दिया है, संजय निरुपम ने हालांकि कांग्रेस पार्टी से अलग होने की बात नहीं कही है लेकिन मुंबई में पार्टी के टिकट बंटवारे पर उन्होंने कई सवाल उठाए हैं। संजय निरुपम ने कहा कि मुंबई में कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से अपने प्रत्याशी फाइनल किए हैं, उनमें 3-4 को छोड़ दें तो शायद बाकी सभी की जमानत जब्त होगी।
संजय निरुपम ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने बगैर किसी प्रतिक्रिया और किसी सर्वे के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी फाइनल किए हैं, सिर्फ पसंद और नापसंद के आधार पर नाम तय कर दिए गए हैं। संजय निरुपम ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की महाराष्ट्र में चुनाव लड़ने की कोई तैयारी ही नहीं है, न कोई योजना है और न ही कोई रणनीति, उन्होंने कहा कि पार्टी ने अभी तक न अखबारों में विज्ञापन बुक किए हैं और न ही होर्डिंग लगाने के लिए जगहों की बुकिंग हुई है।
चुनावों के लिए किसी तरह की रणनीति नहीं होने के लिए संजय निरुपम ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा स्थानीय अध्यक्षों को बदलना बताया। संजय निरुपम ने कहा कि पता नहीं दिल्ली में बैठे पार्टी शीर्ष नेतृत्व को कौन सिखलाता है कि चुनाव के समय पीछे से प्रेसिडेंट (स्थानीय) को बदल दो, जो नया प्रेसिडेंट आता है उसको समझते-समझते (पूरी रणनीति) चुनाव निकल जाता है। संजय निरुपम ने कहा कि उनके साथ भी ऐसा ही किया गया था और अब हरियाणा में यही हुआ। हरियाणा में कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अशोक तंवर की जगह कुमारी शैलजा को पार्टी की राज्य ईकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया है।
संजय निरुपम ने कहा कि इसकी पड़ताल होनी चाहिए, कौन शीर्ष नेतृत्व को स्थानीय अध्यक्ष बदलने की सलाह देता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्षा इसकी पड़ताल कर सकती हैं या फिर राहुल जी भी पड़ताल कर सकते हैं और उनको पड़ताल करनी पड़ेगी। संजय निरुपम ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान ऐन वक्त पर उन्हें मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटाया गया था, उन्होंने कहा कि उस समय पार्टी का एक निष्ठावान कार्यकर्ता होने के नाते उन्होंने उस फैसला का स्वागत किया लेकिन यह सिलसिला अभी भी जारी है।